________________
१००) नयापुरा-उज्जैन
२५०) चराडा १००) खाराकूआ-उज्जैन
२००) वाराही २००) जामनगर पासेना गाममा ५००) बीबडोद, सेमलीया अने वहींतीर्थमा ( रतलाम स्टेटमां) भगवानने लेप कराववामा
आव्यो तेमां मदद आपी। उपर प्रमाणे रु. साडीबत्रीससोनी मदद देवद्रव्यमाथी अपाववामां आवी।
जीवदयानी उपजमांथी नीचे प्रमाणे मदद अपावी । २५) इडर पांजरापोळ
२५) वाव पांजरापोळ २५) हैदाबाद ,
२५) अन्धेरी , २५) बजाणा ,
५०) पालीताणा , २५) लींच ,
उपर प्रमाणे रु. २००)नी बसोनी मदद पांजरापोळने अपावी । ___ अंधेरी मुकामे चातुर्मासनी पूर्णाहुती अवसरे जामनगरनिवासि-श्रेष्ठिवर्य-श्रीचुनीलाल लक्ष्मीचन्द संघवीनी आग्रहभरी विनंतिथी तेओश्रीना मकानमा तेओश्रीए चातुर्मास बदलावीने लाभ लीधो, अने श्रीसंघ साथे श्रीसिद्धाचळपटनी यात्रा--प्रभावनादि शुभ कार्यों कराव्यां ।
--act- - प्रास्ताविक-निवेदनना उपसंहारमांप्रास्ताविक-निवेदननी शरुआतमा प्रस्तुत प्रकाशननी ओळख, ग्रन्थरत्न-रचनासमय, आ प्रन्थनी प्राचीनता, आ ग्रन्थकारना समकालीन अभ्यासी लघुन्यासकार, श्रुतज्ञानना साधनोनी अभिवृद्धि अने संरक्षण, ग्रन्थ प्रकाशननी अनिवार्य जरुर, आ ग्रन्थनी महत्ता, अवचूर्णिकारनी सुयोजित एक विशेष रचना, आ अवचूर्णि-समविषयक ग्रन्थो, अवचूर्णि ग्रन्थस्थित विषयप्रदेश, आ ग्रन्थ प्रकाशन पाछळ व्यवस्थित वीतावेलां पुनीत-पांच वर्ष; अने प्रासंगिक-मददगारो विगेरे वार पेरेग्राफोनुं अनुक्रमे आलेखन करीने वांचकोनी ऐतिहासिक-विचारसरणीने संतुष्ट करवा यथायोग्य प्रयास पू. पन्यासप्रवरश्री तरफथी करवामां आवेल छे.
प्रास्ताविक-निवेदनना पृष्ठ ८ ना अंतिम भागमां " ग्रन्थ प्रकट थतां थयेलां लगभग पांच वर्ष " नामना पेरेग्राफमां दीर्घ समये ( पांच वर्ष ) थयेल प्रकाशनमा आ ग्रन्थना सम्पादन कार्य साथे शासनहितवर्धक कार्यों करवानी सम्पादकने अनिवार्य जरुर पडेली हती, तेथी पांच वर्षना पांच चातुर्मासनी पुनीत कार्यवाही साथे साथे आपवानुं योग्य धायुं छे. एटले
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org