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________________ वासीना छे, श्रावको तपागच्छ अने अंचळगच्छने मानवावाळाओ छे । अहींना श्रावकोनी आर्थिक-स्थिति एकन्दर सारी जणाय छे । अहींनी जैनपाठशाळा केटलाक वखतथी बंध हती ते चालू करवानो उपदेश आपतां टीपमां रु. ६००) छसो भराया, अने पाठशाळा फरीथी चालु करवामां आवी । धूळीयाना श्रीसंघे मुंबई विराजता पूज्य-आगमोद्धारक-आचार्यश्रीने तार करीने अमारा चातुर्मासनी रजा मंगावतां अमारी उपर जवाब आव्यो के "कोइ पण स्थळे रोकाया विना सीधा मुम्बई आवो." त्यार पछी जेठ सुदि ७ ना दिवसे धूळीयाथी अमारो विहार थयो, मालेगाम सुधी धूळीयाना माणसो विहारमा साथे हता। मालेगामथी चांदवड, पीपलगाम, नासीक अने घोंटी थइने अमे शाहपुर पहोंच्या, त्यां शासनप्रभावना वधे एवी रीतनो प्रवेश, आंगी, पूजा, प्रभावना अने व्याख्यान-वाणीनो लाभ दरेक-संघे यथाशक्ति लीधो हतो । उपरना गामोना विहारथी अमारा अनुभवमा आव्यु के “ आ प्रदेशमा सारा साधुओनो विहार नामनो ज थतो होवाथी, तथा केटलाक एकलविहारी अने ढुंढकनुं विचरवू थया करतुं होवाथी, श्रावकोनी श्रद्धा-भक्तिमां घणो घटाडो थइ गयो छे; माटे सारा साधुओए आ प्रदेशमा पोतानो विहार लंबाववानी घणी ज आवश्यकता छ । अमने शाहपुरमा चातुर्मास राखवाने माटेनी रजा मेळववा मुम्बईमां विराजता पूज्य आचार्यदेवनी पासे शाहपुरना श्रावको जाते जइ पहोंच्या अने घणा आग्रहथी विनंति करी परन्तु धूळीयाना संघनी विनंतिनी माफक तेमनी विनंति पण सफळ थइ नहीं । शाहपुर मुकामे मुम्बईथी गोडीजीनी पेढीना मुनीम विनंति करवा तथा ठाणे क्यारे पधारवानुं थशे ते पूछवा आव्या हता, तेमनी साथेनी वातचीतथी रविवारनो दिवस ठाणे आववाने माटे मुम्बईगराओने घणो अनुकूळ जाणीने अमारा साधुओए रविवारे ठाणे पहोंचवानो निर्णय मुनीमजीने जणाव्यो अने तेओ मुम्बई गया। बीजे दिवसे विहार करीने भीमडी थइने अमे ठाणे रविवारे पहोंची गया। अमारो रविवारे थनारो ठाणानो प्रवेश शहेरमां अने परामां बे दिवसथी जाहेरथइ गयेलो होवाथी मुम्बईना कोट अने सेंडहर्स्टरोडना तथा लालवाडी, दादर, सांटाक्रूझ, अन्धेरी अने घाटकोपर विगेरे पराना वणा श्रावक-श्राविकाओ उपरांत गोडीजीना उपाश्रयना आगेवानो दर्शन-वंदनार्थे ठाणे आव्या हता। गोडीजीना उपाश्रयना आगेवानो तरफथी आंगी, पूजा अने प्रभावना करवामां आव्यां हतां । उपर जणावेलाओए पोतपोताना उपाश्रयमां चातुर्मास करवा माटेनी विनंतिओ पण करी हती। मुनीश्रीचन्द्रप्रभसागरनी तबीयत ठाणे आवतां रस्तामां ज बगडेली होवाथी ठाणामां बे दिवस रोकाइने असाड सुद ३ ने दिवसे घाटकोपर जवा माटे विहार कर्यो । बीजने दिवसे घाटकोपर आववानुं प्रथम नक्की थवाथी घाटकोपरना संघे प्रवेश महोत्सवनी गोठवण करी हती, परन्तु रस्तामा उक्त साधुने ताव आववाथी (मोडं थई जवाथी) ३ ने दिवसे ओचिंता अहीं आववानुं थयु हतं। अ.सु. ३ ने दिवसे घाटकोपर पूज्य पंन्यासजी महाराज आदि ठाणा ७ पधार्या त्यां बपोरना टाइमे लालवाडीथी शेठ मेघजीभाई सोजपाळे अने रातना अन्धेरीना आगेवानोए चातुर्मासनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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