SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विनंति करी हती, परन्तु अत्यार सुधीनी दरेक विनंतिवाळाओने एक ज जवाब अपातो हतो के " पूज्य गुरुदेव आचार्यश्रीनी समीपे हाजर थया पछी दरेक विनंतिओने लक्ष्यमां लइने, चातुमांसना आदेशो लाभालाभने तथा साधुओनी अनुकूळताने जोईने पूज्यपाद आचार्यदेव ज्यां फरमावशे त्यां चातुर्मास थशे । ” घाटकोपरमां बे दिवस व्याख्यान-प्रभावनादि थयां हतां । अ. सु. ५ ना विहार करी सीधा भायखला पहोंचवानुं धारेलं, परन्तु वचमा माटुंगा आवतां शेठ रवजीभाई सोजपाळना आग्रहथी तेमना शान्तिनिकेतनमां रोकाइ गया, त्यां व्याख्यान अने प्रभावना थया बाद सांजना विहार करी भायखले आवी रात रहीने अ. सु. ६ नी सवारे त्यांथी नीकळी भीडीबजारने नाके श्रीशान्तिनाथजीना मन्दिरे आव्यां। श्रीगोडीजीने उपाश्रयेथी केटलाक साधुओ अने श्रावक-श्राविकाओ सामे आवी पहोंच्या। तेओनी साथे झवेरी बजारमांना श्रीमहावीरस्वामीने देरे दर्शन करीने, श्रीगोडीजीना उपाश्रयमा आव्या । श्रीपूज्यपाद-आचार्यदेवेशने वन्दन करीने पूज्य पंन्यासश्रीए मंगलिक व्याख्यान संभळाव्यु, अने प्रभावना थइ हती। श्रीगोडीजीना उपाश्रयमां अमारी पांच दिवसनी स्थिरता थइ हती ते दरम्यान झवेरी नेमचंद अभेचंदनी बिमारीने अंगे तेमने बंगले मंगलिक संभळाववा जवानुं थयुं हतुं, त्यां मंगलिक संभळावीने रावसाहेब शेठ कान्तिलाल ईश्वरलालना आग्रहथी मरीनद्राइव पर तेमना बंगले रात रहेवानुं थयुं हतुं । सांजना प्रतिक्रमण थया बाद शेठ बबलचन्द केशवलाल मोदीने तथा चीनुभाई लालभाई सोलीसीटरने बोलावीने शेठ कान्तिलाल साथे प्रातःस्मरणीय पूर्वाचार्यना रचेल विविध प्रकारना साहित्यनो पठन-पाठनमां शी रीते वेग वधे अने बहोळो प्रचार थाय ते बाबतमां मध्यरात्रि सुधी विचारविनिमय करीने पूर्वाचार्यों अने शास्त्रनी नीति-रीतिने काइ पण बाधा न आवे तेवा प्रकारनी एक जैन कॉलेज करवानुं नक्की थयुं । सवारमा श्रीगोडीजीने उपाश्रये जइने पूज्यपाद आचार्यदेवेशने रात्रिए करेलो निर्णय जणाव्यो । छेवटे कॉलेजमां केवा प्रकारनो जैनधार्मिक कॉर्स राखवाथी उच्चकोटिना जैन विद्वानो तैयार थइ शके ते बाबतना निबन्धोने माटे इनामी जाहेर खबर आपवामां आवी हती । जाहेर खबर आपवाथी पन्दरेक निबन्धो लखाइने आव्या हता । पूज्यपाद आचार्य देवेशनी नजर तळे दरेक निबन्धनी तपासणी थतां वे निबन्धोने पास करीने, ते बन्ने निबन्धोना लेखकने अनुक्रमे रु. ३००) तथा रु. २००) मळीने पांचसो रु. इनामना आपवामां आव्या हता | आ नवीन संस्था (जैन कॉलेज) माटे पूज्यपाद आचार्यदेवेशना सदुपदेशथी, अने पंन्यासप्रवरना प्रयत्नथी लगभग रु. चार लाखनी मददना वचनो मळी गया हता; परन्तु केटलांएक अनिवार्य-कारणोने लइने ते विचारणाने हाल तुरतना संयोगोने अनुसरीने पडती मूकवामां आवी हती। मुम्बईनी स्थिरता दरम्यान श्रीगोडीजीना ट्रस्टीयोने धारस्टेटमां आवेला तारापुरना मन्दिरनी हकीकत पूज्यश्रीए जणावीने तेना उद्धार माटे उपदेश अने आग्रह करवाथी गोडीजीना दृस्टीयोए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy