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________________ तारापुरमा उज्जैनवाळा छगनीराम मगनीरामना सुपुत्रो अने धारना श्रावको तरफथी स्वामिवात्सल्यनुं जमण थयुं हतुं । तारापुरथी वै. व. ३ ने रोज विहार करीने मुम्बई आगरारोडनी सडक उपर आवेला धामणोदगाममां अमे पहोंच्या। ते गाममा केटलाक दिगम्बर जैनोनी वस्ती हती, धामणोदथी साडीत्रणसो माइल उपरांत मुम्बईनो रस्तो छ । तारापुरथी आगळ सवासो माइल दूर आवेला शीरपुर सुधीना रस्तामा जैनोनी वस्तीवाळु एक पण गाम आवतुं नथी तेम रस्तो पण केटलोक पहाडी अने विकट आवे छे । मांडवगढथी अमारो विहार थया पछी त्यांना कार्यवाहकोए शीरपुर संघना आगेवान सुश्रावक-लीलाचन्द-गुलाबचन्दने तार करीने तथा पत्रथी अमारा शिरपुर आदि गामोना विहारनी खबर आपेली होवाथी शीरपुरथी ५० माइल दूरना मुकामे संघोए लीघेलो अमारी सामे शीरपुरना आगेवानो आव्या हता, त्यां सुधीना विहारमा पुनित लाभ- अमारी साथे उज्जैनना श्रीसंघना माणसो हतां । शीरपुरना आगेवानो अमने शीरपुर लइ जवा माटे आवी पहोंच्या एटले उज्जैनना माणसो पोताना वतन गया अने अमारा साधुओए शीरपुर तरफ प्रयाण कयुं । वै. व. १३ ने रोज शासननी प्रभावना वधे एवी रीतना ठाठमाठथी शीरपुरमां अमारो प्रवेश थयो। शीरपुरमा मुख्य मंन्दिर श्रीपद्मप्रभुजीनुं छे अने बीजं श्रीसुमतिनाथजीनं छे । शीरपुरना श्रावकोमा मोटो भाग पाटणना निवासिओनो छे ते बधानी देव-गुरु अने धर्म प्रत्ये प्रीति अने भक्ति अनहद छ । शीरपुरमां पांच दिवसनी अमारी स्थिरतामां आंगी पूजा अने प्रभावना थयां उपरांत खानदेशमांथी मांडवगढ थइने माळवामां अने माळवामाथी मांडवगढ थइने खानदेशमा जतां आवतां साधुसाध्वीओनी सगवड अने विहारना प्रबन्ध माटेना फंडनो असरकारक उपदेश पूज्य पंन्यासश्रीए आप्यो, तेनी असर घणी सुन्दर थवाथी तुरतज रु. ५५००) साडीपांच हजार उपरांतनी टीप भराइ गइ । जे. सु. २ नी सांजना ज्यारे शीरपुरथी अमारो विहार थयो त्यारे वळाववा माटे आखा गामना श्रावक-श्राविकाओ अने छोकरां-छोकरीओ पण केटलेक दूर सुधी आव्यां हता, अर्थात् भक्तिवालु-धर्मनी लागणीवाडं शीरपुर गाम छे । शीरपुरमा श्रीविजयविज्ञानसूरिजीन चातुर्मास नक्की थई गयु होवा छतां अमने चातुर्मास करवानी शीरपुरना संघे विनंति करी हती । शीरपुरथी धूळीया सुधीना ३६ माइलना विहारमां शीरपुरना आगेवानो अमारी साथे वळाववा आव्यां हतां । धूळीयाना श्रीसंघ उपर मुम्बईथी शेठ मूळचंद बुलाखीदासे तार करीने अमारा धूळीये पहोंचवाना समाचार जणावी दीधेला हता, एटले जेठ सुदि ५ ने दिवसे धूळीयाना श्रीसंघे वाजते गाजते अमारो प्रवेश कराव्यो । बे दिवसनी अमारी स्थिरतामां व्याख्यान, पूजा, प्रभावना विगेरेनो लाभ पण सारा प्रमाणमां लीधो। पश्चिम खानदेशमा १३०००) नी वस्तीवाडं आ धूळीआ मुख्य शहेर छे, एमां १०० घर श्रावकना अने १०० घर स्थानक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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