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________________ रोशनीमा दर्शनार्थे आवनाराओनी आठ वाग्याथी थती मेदनी एक वाग्या सुधी चालु रहेती हती। मंडपमा सांजनुं प्रतिक्रमण थइ गया बाद तुरत ज मन्दिरना अने श्रीपाळराजाना रासना लगभग दर्शनीय बधा प्रसंगोनो बोध करावनारा पडदाओ अने बोधदायक लखाणोवाळा बॉर्डोना दर्शन करवा तथा बिजळीक-रोशनीने निहाळवा आवनाराओनी शरुआत थती । मूळ मन्दिरमा प्रवेश करी, जिनेश्वरना दर्शन करी, उपर चढी बधी रचनाओ निहाळीने चन्द्रप्रभुना मन्दिरमा उतरी दर्शन करीने बहार नीकळवार्नु हतुं, अर्थात् दर्शन करवा आवनाराओने प्रवेश करवानो अने नीकळवानो मार्ग जूदो जूदो राखवामां आव्यो हतो के जेथी करीने बधाने दर्शन करवामां सरळता थाय । उज्जैनमां ज नहि परन्तु आखा माळवा देशमां आवो महोत्सव पहेलावहेलोज होवाथी लगभग २५० गामना माणसो आ प्रसंगे उज्जैनमां आवेलां हनां अने शहेरना एकला जैनो ज नहि पण जैनेतरो पण दर्शन करवामां सामेल होवाथी रात्रिना चार कलाक सुधी दर्शकोनी एटली बधी भीड रहेती हती के उपरथी थाळी पडे तो पण ते जमीन पर नहि पहोंचतां जनसमुदायनी उपर ज झोलाइ रहे एटली संकीर्णता रहेती हती। बहारगामथी आवेला श्रावक-श्राविकाओने उतरवा माटे शहेरनी बधी धर्मशाळाओ अने शहरमां तथा फ्रीगंजमां केटलाक गृहस्थोना मकानो रोकवामां आव्या हता, परन्तु तेटलामां समावेश थइ शके एम न होवाथी स्टेशन पासे आवेली दूधतळाइनी विशाळ-जग्यामा दूधतळाइमां आवेली धर्मशाळा सामे श्रीसिद्धचक्रनगरनी रचना करीने लोकोने उतारवामां आव्या हता। आ महोत्सवना दर्शनार्थे आवनाराओने माटेना स्वामिवात्सल्यना जमणनो प्रबंध पण त्यां धर्मशाळामां करवामां आव्यो हतो। आयंबील नहि करनारा दरेक यात्रालुओ माटे जमवानी त्यां गोठवण करेली हती अने जमनाराओनी गणतरी करवाथी प्रथमना पांच दिवसोमां लगभग १५००० पन्दर हजार मनुष्योए स्वामिवात्सल्यनो लाभ लीधो हतो, परन्तु उत्तरोत्तर यात्रालुओनी संख्यामां वधारो थतो रहेवाथी छेल्ला पांच दिवसोमा स्वामिवात्सल्यनो लाभ लेनारनी संख्या वधीने २७००० सत्तावीस हजार सुधी पहोंची गइ हती। विधिपूर्वक नवपदनी आराधना करनाराओ माटेना आयंबीलने रसोडे आयंबील करनाराओनी नव दिवसनी कुल संख्या आसरे ३५००) पांत्रीसो उपरांतनी थइ हती । उपर जणावेला सिद्धचक्र-नगरमां समवसरणनी रचना करवामां आवी हती, अने देशविरति-धर्माराधक-समाजना अधिवेशनना व्याख्यान-मंडपनी रचना पण त्यां ज करवामां आवी हती; तथा चोकी पहेरानो अने पोलीसनो सारो बंदोबस्त करवामां आव्यो हतो । __ आ आराधनामां तथा दे. वि. ध. स. ना अधिवेशनमा भाग लेवा माटे अमदाबाद, मुम्बई, सुरत अने जामनगर विगेरे गुजरातना मुख्य मुख्य आगेवानोना खानपान अने उता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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