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रानी सगवड अमदावादवाळा बबाभाई सुबोधचन्द्रे पोताना फ्रीगंजना बंगलामां करीने स्वामिभाईनी भक्तिनो सुन्दर लाभ लइने उज्जैनना श्रीसंघने महत्त्वनी सहायता करी हती । आ कार्यमां वधु सारो भाग लेनार तेमना भागीदार डुंगरशीभाई पण हता। आ आराधनाना दिवसोमा दे. वि. ध. स. ना अधिवेशनमां भाग लेवा माटे प्रतिनिधिओ तथा अधिवेशनना वरायला प्रमुख अमदाबादनिवासि-श्रीयुत्-पुंजाभाई दीपचंद विगेरेनुं अने माळवाना श्रीनवपदआराधक-समाजना प्रमुख बदनावरनिवासि-श्रीयुत्-नन्दराम चोपडा विगेरेनुं उज्जैनमां शुभागमन थयुं ।
पूज्य पंन्यासजी महाराजना उपदेशथी आ महाभारत कार्यना खर्चने माटे टीप करवानी शरुआत करवामां आवतां एकला लोढा साथ (दसा ओसवाल ) तरफथीज. रु. १२०००) बार हजार भराया, अने बीजा साथ वाळाओना रु. ७०००) सात हजार मळी उज्जैनना संध तरफथी रु. १९०००) ओगणीस हजार भराया । मुम्बइ, अमदावाद, जामनगर अने सुरतना संघो तरफथी रु. १२०००) बार हजार अने माळवाना उज्जैन सिवायना स्थानोमांथी रु. ५०००) पांच हजार उपरांत भरायाथी कूल रु. ३६०००) छत्रीस हजार उपरांतनी टीप थइ । जूदा जूदा दिवसना आयंबील, पूजा, स्वामिवात्सल्य, अत्तरवायणा (पारणा ओळीनी शरुआतना आगला दिवसना जमण) अने पारणा विगेरे कार्योना लाभ लेवाने माटे आदेश लइने जूदी जूदी व्यक्ति तरफथी ते शुभ कार्यों करवामां आव्या हतां ।
आ नवपद-सामुदायिक-आराधना अने श्रीदेशविरति-धर्माराधक-समाजना अधिवेशन विगेरे कार्योमा कूल रु. १५७०००) एक लाख सत्तावन हजार उपरांत खर्च थयो । आ प्रसंगे उज्जैनना पांचे जिनमन्दिरोमां समारकाम तथा रंगरोगान कराववामां रु. ६०००) छ हजार लगभगनो खर्च श्रीसिद्धचक्र आराधक समाजे करावी महत्पुण्य हांसल कयुं हतुं । चै. सु. १३ ने दिवसे ५६ दिक्कुमारिकाओनी अने मेरुशिखर परना २५० अढीसो अभिषेकनी अने श्रीमहावीर-जन्मकल्यणकना वरघोडानी बोलीओथी तथा नव दिवसनी आंगी, पूजा, आरति अने मंगळदीवानी बोलीओथी देवद्रव्यमा लगभग रु. ११०००) अगीयार हजारनी आवक थइ हती | माळवा श्रीनवपद-आराधक-समाजने पण लगभग रु. ७०००) सात हजारनी मदद मळी हती। धारमा तथा कानवनमां पूज्य पंन्यासजीने हाथे थनारी प्रतिष्ठाओना दिवसो नजीकमां ज
आवता होवाथी उज्जैनना आ बन्ने शासनप्रभावक-महोत्सवो समाप्त धारमा तथा कानव- थतां चै. वद १ ना दिवसे ज पूज्यश्रीए सपरिवार उज्जैनथी विहार नमा पूज्यश्रीए करा- कर्यो अने हडमत बागमां पधार्या । त्यां संघ तरफथी नवाणुंप्रकारी पूजा वेली प्रतिष्ठा- भणाववामां आवी अने बीजे दिवसे सुश्रावक केसरीमलजी जेठमल
जीना मकानमां पूज्यश्री पधार्या । त्यां व्याख्यान, पूजा, प्रभावना अने
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