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________________ :४१: उपाश्रये पहोंच्या पछी सामैयानुं विसर्जन थयु हतुं । उज्जैनमा ते अवसरे श्रीहीरसूरिजीना उपाश्रयने नामे ओळखाता बडा-उपाश्रयमां त्रिस्तुतिक-सम्प्रदायनी त्रण साध्वीओ हती। छेल्ला पांच सात वर्षथी जैन श्वे. मू. पूजक सम्प्रदायना विद्वान् अने क्रियापात्र साधुओना उपराउपरी आवागमन अने चातुर्मासो उज्जैनमा थवाथी, अने तेओना व्याख्यान सांभळवाथी तथा समयानुसार उत्कृष्ट चारित्रपालनथी; स्थानकवासि-सम्प्रदायना घणा श्रावक-श्राविकाओ मन्दिरमार्गी बनी चूक्या हता । तेवामां वळी माळवा-प्रांतमां अभूतपूर्व थनारा आ महोत्सवमा आखा माळवा देशना गामो गामथी तेमज मेवाडादि देशमाथी आवनारा मन्दिरमार्गी श्रावकोनी साथे घणा स्थानकवासीओ पण आवशे, अने आवा आकर्षक-महोत्सवथी आकर्षाइने मूर्तिपूजक सम्प्रदायना प्रशंसक तथा अनुरागी बनी जशे तो आ प्रान्तना स्थानकवासी सम्प्रदायने घणो मोटो धोको पहोंचशे एम जाणीने; स्थानकवासि सम्प्रदायना चोथमलजी नामना साधु पोताना परिवारने लइने उज्जैनमा आवी पहोंच्या हता । पोताना सम्प्रदायना माणसोने सामा पक्षना महोत्सवमा जवानो समय ज न मळे ए हेतुथी सवारना अने बपोरना टाइमे तेणे व्याख्यान वांचवानुं शरु कयु । एक तो नहि जोएलुं जोवानो अवसर मळे तो स्वाभाविक ज सौनुं मन ललचाय एवी अनेक प्रकारनी विशेषताओ आ महोत्सवमा होवाथी अने चोथमलजीनुं व्याख्यान तो ते सम्प्रदायवाळाओए घणी वखत सांभळेलु होवाथी चोथमलजीनी धारणाने निष्फळ प्रायः बनावीने घणा स्थानकवासीओए आ महोत्सवमा उलटभेर भाग लीधो, अने केटलाक साधनसम्पन्न स्थानकवासीओए तो आ महोत्सवना कोई ने कोई प्रसंगमा यथाशक्ति द्रव्य खर्चीने पण लाभ लीधो हतो। चैत्र सुदि १३ ना रथयात्राना वरघोडाना टाइमे पण चोथमलजीए व्याख्यान राखेनु छतां थोडा चूस्त-स्थानकवासिओ सिवायना आखा स्थानकवासि-समुदाये वरघोडामा हाजरी आपी हती। आ वरघोडामां श्रीविद्याविजयजी आदि ठाणां ३ अने साध्वीश्री तिलकश्रीजीना समुदायना मनोहरश्रीजी आदि ठाणां ६ साध्वीओ पण आव्यां हतां । श्रीनवपदनुं सामुदायिक-आराधन सुन्दररीतिए थई शके ए हेतुथी खाराकूआमां आवेली श्रीसिद्धचक्र-आराधन-तीर्थनी विशाळ-जग्यामां मंडप विगेरेनी गोठउज्जैनमा सामुदायिक वणर्नु काम चैत्र सुदि १ सुधीमा सम्पूर्ण थइ गयुं । देरासरमा धणा आराधना विगेरे माणसो बेसी शके ते माटेना बांधकाम, अने कपडवंज मुकामे करेला देखावोनी गोठवण माटे श्रीचन्द्रप्रभुना मन्दिरनी सामेनी जग्यामा तात्कालिक माळ बांधीने बधा देखावोनी गोठवण करवामां आवी । सिद्धचक्राराधन-तीर्थना मुख्य-मंडप उपरनी अगाशीमा श्रीसिद्धाचलजीना देखावनी अने श्रीचन्द्रप्रभुना मन्दिर सामे श्रीपालमहाराजानो चम्पानगरीमा प्रवेश, राज्याभिषेक, राज्यकचेरी अने वारांगनाना नाच विगेरेनी रचना-गोठवण एवी सुन्दर अने आकर्षक करवामां आवी हती के रातना टाइमे विजळीक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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