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________________ सगवडनी जरूरत होय तेओए दाहोद जइने उपरनी बे पेढीमांथी गमे ते पेढीने जणाब, जेथी ते पेढी तरफथी लेवा माणसो दाहोद आवशे अने ठेठ सुधी विहारमा साथे रहेशे । आ लखाणमां ज्यां उज्जैननी पेढी एटलुंज लखाण आवे त्यां उपर जणावेली (ऋ० छ०) उज्जैननी पेढी समजवावें वांचकोए ध्यानमा राखवू । राजगढना श्रीसंघना माणसो पांच माइल दूर सुधी सामे आल्या हता अने शासननी शोभा वधे एवी रीते वाजते गाजते ठाम ठाम गहुंलीयो काढीने राजगढमां पू. पन्यासजीनो प्रवेश कराव्यो हतो । राजगढनी अमारी पांच दिवसनी स्थिरतामा व्याख्यान पूजा अने प्रभावना थयां हतां अने उज्जैनमा थनारी सामुदायिक आराधनमां भाग लेनाराओनी भक्ति करवानो उपदेश आपवाथी राजगढना घणा भावुकोए उज्जैन आववानुं जणाव्यु। देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्य अने साधारणद्रव्य विगेरे धार्मिक खाताओनी उपज अने खर्चनी बरोबर व्यवस्था सचवाय एटला माटे एक पेढीनी स्थापना राजगढमां थवी जोइए एम आगेवान श्रावकोने जणावतां तेओए ते वातनो स्वीकार कर्यो अने रु. पांचेक हजारनी मददना वचनो मळ्यां, परन्तु उज्जैन जवानी अमारे उतावळ होवाथी ते काम कोइ बीजा प्रसंगे हाथमां लेवानुं जणावीने अमारा समुदाये राजगढथी विहार कर्यो । आ नवपदनी सामुदायिक आराधनामां भाग लेवाने माटे उज्जैननी पेढीए हिंदुस्थानभरना जैनोने आमंत्रण पत्रिकाओ मोकली आपी, परन्तु थनारा खर्चनी टीपनी शरुआत अमारा पहोंच्या पछी ज करवाना तेमना विचार जाणीने अमारे विहारमा उतावळ करवी पडी । ज्यारे उज्जैनथी पांच माइल दूर अमारो मुकाम थयो त्यारे उज्जैनना आगेवानो आवी पहोंच्या । फा. १-२ ने दिवसे वर्षाद पड्यो, परन्तु फागण वदि ३ ना अमारा प्रवेशने दिवसे उघाड हतो एटले सवारमा हडमतबागमां श्रीसिद्धाचलजीना दर्शन करी श्रीअवन्तीपार्श्वनाथना मन्दिरे आव्या; अने चमत्कारिक श्रीअवन्तीपार्श्वनाथना दर्शन तथा स्तवना करीने कृतार्थ थया । सामैयानी शरुआत त्यांथी थवानी होवाथी त्यां चातुर्मास रहेला पूज्य पंन्यासप्रवरना तपस्वी शिष्य श्रीधर्मसागरजी आदि ठाणाx १० तथा श्री संघर्नु आगमन थया पछी अभूत-पूर्व-सामैयानुं प्रयाण थयु । शासननी शोभा वधे एवा हेतुथी राखवामां आवेला हाथी घोडा निशान डंका अने बेन्डवाजा विगेरेथी सामैयानी शोभा घणी ज वधी गइ हती । वरघोडामा शहेरना नवापुराना तथा दौलतगंजना अने बहारगामथी आवेला जैनोनी तथा जैनेतरोनी थएली भारे मेदनी साथे पू. पंन्यासजीनो प्रवेश थयो, मार्गमा अनेक स्थळोए चांदी-सोनाना स्वस्तिको रुपया अने गीनीथी थयेली गहुलीओ अने गुरुपूजननी उपज रु. ४००) उपरांत थइ हती। श्रीअवन्तीपार्श्वनाथना मन्दिरेथी सामैयु नीकळीने गोपाळमन्दिर, बडासरफा, सती-दरवाजा, दौलतगंज, पटनीबाजार अने छोटासराफा थइने खाराकूआने - १ श्रीधर्मसागरजी, २ श्रीदर्शनसागरजी, ३ श्रीन्यायसागरजी, ४ श्रीअभयसागरजी, ५ श्रीशान्तिसागरजी, ६श्रीप्रमोदसागरजी, ७ श्रीप्रेमसागरजी, ८ श्रीकनकसागरजी, ९ श्रीजितेन्द्रसागरजी अने १० श्रीउदयसागरजी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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