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________________ जणावतां घणा लाभy कारण जाणीने खास कारण सिवायना दरेक साधुए उज्जैन आववानी हा पाडी अने विहारनी तैयारी करवा मांडी । उज्जैनना संघनी जोरदार विनंति अने त्यां जवाथी थनारा लाभने संक्षेपमा जणाववापूर्वक उज्जैनना विहारनी आज्ञा लई आववा माटे आगमोद्धारक पूज्य आचार्यदेवनी पासे श्रावक सोमचन्द मंगळदासने वडोदरे मोकल्या । अहींथी जणावेली हकीकत उपर विचार करीने पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यश्रीए उज्जैनना विहारनी आज्ञा आपतां साथे जणाव्यु जे " उज्जैनमा आ बे कार्यों समाप्त थया पछी उनाळानो टाइम अने उज्जैन विगेरे माळवाना क्षेत्रोनी आग्रहभरी चोमासानी विनंतिओ होवा छतां पण चातुर्मास माटे मुम्बई पहोंची शकाय एम होय तो ज उज्जैन तरफ विहार करवो" पू० गुरुदेवनी आज्ञा आवी जवाथी अमारा समुदाए खम्भातथी सं. २०००ना महा सुदि १० ने दिवसे विहार करवानुं नक्की कयु । खम्भातथी विहार करतां पहेलां पूज्य गुरुदेवनी भक्तिने वश थइने चन्द्रप्रभ साना आपेला उपदेशथी सुश्रावक मूलचन्द बुलाखीदास विगेरे भाईओए पोताना उपाश्रयमा पूज्य पंन्यासप्रवरनी दर्शनीय एक प्रतिकृति चीतरावीने मूकी । पूज्यश्रीना पुस्तकोने राखवा मटे उज्जैनवाळा शेठ छगनीराम अमरचन्दे अने मगनीराम मांगीलाले एक एक कबाट करावी आप्या ते पण उपरोक्त उपाश्रयमा राखवामां आव्या । १ पूज्य पंन्यासजी महाराज, २ श्रीज्ञानसागरजी, ३ जो हुं ( श्रीसुबोधसागरजी ), ४ श्रीअमूल्यसागरजी, ५ श्रीहेमेन्द्र सागरजी, ६ श्रीचन्द्रकान्तसागरजी अने खम्भातथी विहार अने ७ श्रीचन्द्रप्रभसागर ए प्रमाणे सात साधुओए सं. २००० ना महा सुदि उज्जैन तरफ प्रयाण- १० ने दिवसे खम्भातथी विहार कर्यो । नजीकना गामोमां एक एक दिवस रोकातां बोरसद मुकामे त्रण दिवस रोकाया, त्यां व्याख्यान, पूजा-प्रभावनादि थयां, त्यांथी विहार करीने गोधरे पहोंच्या त्या सुधी बोरसदनो श्रावकसमुदाय विहारमा साथे रह्यो हतो । गोधरामां त्रण दिवसनी स्थिरता दरम्यान व्याख्यान पूजा-प्रभावना विगेरे थयां हतां । त्यांथी विहार करीने अमे दाहोद पहोंच्या त्यां सुधी गोधराना श्रावकनो समुदाय विहारमा अमारी साथे रह्यो हतो। दाहोदमां अमे बे दिवस रोकाया त्यां राजगढनी विनंति आववाथी दाहोदथी विहार करीने झाबुआ थइने राजगढ पहोंच्या । गोधराथी दाहोद अने दाहोदथी राजगढ अथवा रतलाम सुधीना रस्तामां जंगल आवे छे अने तेमां भीलोना झुपडां ज आवे छे माटे ए प्रदेशमा विचरनार साधुओए अने साध्वीओए सावधानीथी विहार करवानो छ । ___ दाहोद आव्या पछी माळवामा जनारा साधु-साध्वीओनी सगवड साचववानो अने विहारनी मुश्केलीओने दूर करवानो प्रबन्ध १-शेठ ऋषभदेवजी छगनीरामजीनी पेढी ठि. खाराकूआ उज्जैन ( माळवा ), अने २ शेठ ऋषभदेवजी केसरीमलजीनी पेढी ठि. बजारखाना रतलाम ( माळवा ) नी पेढी तरफथी करवामां आवे छे; माटे माळवामां जनार साधु-साध्वीने तेवी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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