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________________ पुण्यानुबंधिपुण्यना भंडार भरवामां पाछी पानी करी नथी; तेथी आ महोत्सव अभूतपूर्व गणी शकाय एवी उत्तम रीतिए उजवायो हतो। ___ आ वर्षनी सामुदायिक शाश्वत आराधना माटेगें आमंत्रण श्रीसि. आ. समाजने कपडवंजवाळा शेठ चीमनलाल डाह्याभाई तरफथी मळेलं होवाथी तेओना तरफथी तथा कपडवंजना श्रीसंघ तरफथी विनंति थवाथी अने पूज्यपाद गुरुदेवनी आज्ञा थवाथी पालीताणाथी कपडवंज जवाने माटे अमारो विहार थयो । श्रीसिद्धचक्र आराधक समाज तरफथी केटलांएक वर्षोथी नियमितपणे दरसाल करावायेली सि. शा. आराधना करतां आ सालनी कपडवंजमां थयेली आराधना कपडवंज-नगरमां अभूतपूर्व हती। कारण के आ आराधनामां एक तो पूज्यपाद आगमोथयेली सामुदायिक- द्धारक आचार्यदेवेश श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरजीनी अध्यक्षता हती अने शाश्वत-आराधना- बीजुं घणा मुनिराजोए, साध्वीओए अने श्रावक-श्राविकाओए आ आराधनामां भाग लीधो हतो। दूर दूरना तेमज आजुबाजुना मळीने कूल ६ थी ७ हजार माणसोनुं आ प्रसंगे आगमन थयुं हतुं, तेमां ओळीवाळाओनी संख्या लगभग २००० नी हती अने बाकीनाओ वन्दन, पूजन अने दर्शन आदि निमित्ते आवेला हता। आ प्रसंग उपर पूज्य पंन्यासप्रवरश्रीनी देखरेख नीचे श्रीपाळ-महाराजना चरित्रमाथी अनुपम दृश्यो, कपडवंजनी भूमिने पावन करनार नवांगीवृत्तिकारनी, अने श्रीसमेतशिखरतीर्थनी आबेहुब रचना कराववामां आवी हती। जूदा जूदा भावोने जणावनार पडदाओ चितरावीने दिवालो उपर तथा अनेक प्रकारना उपदेशो आपनार नाना नाना वाक्योना अनेक बॉ? आळेखावीने दर्शकोनी दृष्टिनुं आकर्षण करे एवी रीते ठेर ठेर टांगवामां आव्या हता। पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यदेवेशना प्रवेशमहोत्सवमां, श्री महावीर भगवान्ना जन्मकल्याणकना वरघोडामां, चैत्रीपूनमना देववन्दनमां, हमेशनी नवनवीन पूजाओमां, शान्तिस्नात्रमा; अने ओळीवाळाओना पारणा विगेरेमां आराधना करावनारे लक्ष्मीनो सद्व्यय करी घणु ज पुण्यानुबंधि-पुण्य उपार्जन कयु अने पोतानो नरभव सफळ कर्यो । नवदिवस पर्यन्त हमेशना आराध्यपद उपर पूज्यपाद आगमो. द्धारक आचार्यदेवेशे आगमनी शैलीए सुन्दर विवेचन करीने श्रोताओने नवपदनी आराधनामां अत्यन्त उस्साहित कर्या हता । बहारगामथी मदद माटेनी मांगणीओ आवेली हती तेने माटे व्याख्यानमां उपदेश आपवाथी टीपमा रु. ७०००) सात हजार उपरांत भराया हता ते योग्यतानुसार दरेकने वहेंची आप्या हता। धीनी बोलीना रु. ६०००) छ हजारनी देवद्रव्यनी उपज थइ हती। श्री सि. आ. समाजने आमंत्रण आपनार तरफथी मळेला रु. १९०००) ओगणीस हजार उपरांत जींदगी सुधीना नवा सभासदोना तथा वार्षिक चालु फंडना रु. ११०००) अग्यार हजारनी आर्थिक सहायता मळी हती। उजैननी श्री ऋ. छ. नी पेढीने चै. सु. १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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