SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२५ अने श्री सि. आ. समाजने लाइफ मेम्बरनी फीना रु. ७२७०) अने चालुफंडमां रु. ११००) उपरांत लाभ थयो, एटले एकन्दर रु. ८३००) उपरांतनो लाभ थयो । आ सामुदायिक आराधनाना उत्सव प्रसंगे चतुर्विध- संघनी दरेक प्रकारनी सगवड साचववा माटे २५० माणसोनो स्टाफ रोकवामां आव्यो हतो । पानसर स्टेशने तपास करावतां नव दिवसमां ६८७२ पेसेंजरो उतर्या हता, अने नजीकना गामोमांथी बळद-गाडामां तेम ज पगपाळाए लगभग ३५०० माणस आव्युं हतुं; तेथी आ आराधनामां चतुर्विध संघनी १०००० उपरांतनी संख्याएं लाभ लीधो हतो. चैत्र सुदि १३-१४-१५ ने दिवसे त्यां नजरे जोनारने ' केम जाणे मानवसागर उलट्योज न होय ' एवो ज भास थतो हतो । आराधना करावनार तरफथी आराधना करनार दरेकने ' देववन्दननी विधि ? नामनी बूक भेट आपवामां आवी हती । पूजा, रात्रिजागरण अने रासमां लाभ लेनाराओनी संख्या पण सारा प्रमाणमांजणाती हती । भोयणी - तीर्थमां गया वर्षे थयेली आवी आराधनामां भाग लेनार करतां आ वर्षेनी पानसर तीर्थमां थयेली आराधनाभां भाग लेनारनी संख्या प्रायः दोढ गुणी थई हती, तेनुं खास कारण ए हतुं के आ आराधनामां पूज्य पंन्यासजी महाराजनी हाजरी होवाथी छेल्लां त्रण दिवसोमां अमदावादथी घणांज भाई व्हेनोनुं आवागमन थयुं हतुं । लाभो पानसरथी चैत्र - वदिमां विहार करी अनुक्रमे मेसाणा पधार्या, बाद पूज्यश्रीना परमविनेय मुनि श्रीदेवेन्द्रसागरजी अने श्रीहीरसागरजीने अनुक्रमे आंतरडानी अने जोटाणा मुकामे मसानी बिमारी होवाथी दवाने माटे तेओनुं खेरवा जवानुं थयुं, पाछप्रभुप्रतिष्ठादि पुनित ळथी पूज्यश्रीना शिष्य मुनि श्री अमूल्यसागरजी पण पोतानी दवा करावा खेरवे गया हता । मेसाणानी दर्शक दिवसनी स्थिरतामां पूज्यश्रीना सांभळवामां आव्युं के अहींनी यशोविजय जैन पाठशाळामां संस्कृतना प्राथमिक अभ्यासकोने अत्यन्त उपयोगी थाय एवी एक जूनी हस्तलिखित बुक छे ” पूज्यश्रीए ते पाठशाळाना पंडित प्रभुदास बेचरदासद्वारा ते बुक मंगावीने तपासी जोई अने ते बूकना आधारे भांडारकरनी बूक करतां पण वधु लाभ थाय एवी पद्धतिथी ' संस्कृतभाषाप्रवेशिका' नामनी एक नवी ज बूक बनाववानो निश्चय करी ते कामनी शरुआत करीने एकाद बे पाठोनी संकलना पण करी, परन्तु एटलामां श्री सि. हे. श. ना काम माटे मंगावेला ताडपत्रीय ग्रन्थो मुम्बईनी श्री गोडीजीनी पेढीएथी आवी जवाथी ते कामनी मुख्यतामां आ बूकनुं काम ढीलमां पड्युं । 66 एटलामां वळी जोटाणाना जिनमन्दिर उपर ध्वजादंड चढाववानो हतो, बिम्बप्रतिष्ठा करवानी हती अने अट्ठाइ - महोत्सव हतो ते प्रसंग उपर पधारबानी विनंति करवा आवेला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy