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अमदावादनुं चातुर्मास.
वि. सं. १९९८ ठि० नागजी भूधरनी पोळनो जैन श्वे. मू. उपाश्रय. नोंध:-दीक्षा--प्रतिष्ठाना पुनित लाभ. सुरतमां शासन-प्रभावनाने अनुसरतो प्रवेश. पानसर-मुकामे
सामुदायिक शाश्वत-आराधन, जोटाणा मुकामे ध्वजादंडारोपण-दीक्षा-वडीदीक्षा-स्वामिवात्सल्यादि, श्रीशंखेश्वरतीर्थे रत्नत्रयीनुं आराधन, श्री हेमचंद्रानंद-प्रन्थाब्धिनी शरुआत, श्री हेमचन्द्रकृति कुसुमावळीचें प्रकाशन, सूत्रकृतांगर्नु अने अवचूर्णि मुद्रणकार्य अने आनंदबोधिनी वृत्तिनुं गुंथन, उंझा मुकामे मालारोपण, पालीताणा अने कपडवंज मुकामे शाश्वत आराधनादि शुभकार्योनी संक्षिप्त नोंध.
संचयकारप्रातःस्मरणीय-आगमोद्धारक-आचार्यदेवेश-श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरना विद्वान्-शिष्यरत्न वैयाकरणकेसरी-सिद्धचक्राराधन-तीर्थोद्वारक-पू पंन्यासप्रवर-श्रीचन्द्रसागरजी-गणीन्द्र-चरणारविंद चञ्चरीकः-हीरसागरः
___ अमदावाद-राजनगरनुं चातुर्मास सं. १९९८
ठि० मांडवीनी पोळमां नागजी भूधरनी पोळनो जैन उपाश्रय । मुम्बईथी विहार करता करता अगाशी तीर्थाधिपति-श्रीमुनिसुव्रतस्वामिना दर्शन करीने
पालगढनी नजीकमां पहोंच्या त्यारे नवसारी स्टेशन पासे नवा दीक्षा-प्रतिष्ठाना बंधायेला श्रीचिन्तामणि-पार्श्वनाथना मन्दिरनी प्रतिष्ठाना महोत्सवनो पुनित लाभ लाभ लेवा माटे नवसारीना संघनी विनंति आवी, ते स्वीकारीने त्यां
पहोंचवा माटे विहारमा ताकीद करी. ज्यारे गोलवड थईने बोरडी पहोंच्या त्यारे पूज्यपंन्यासजी महाराजना अतिपरिचयी-तखतगढनिवासी-श्रावक छोगाजी कानाजी घणा वखतथी दीक्षाना अभिलाषी हता तेओए पंन्यासजी महाराजने एवी विनंति करी हती के " मारो एकनो एक बालपुत्र-राजेन्द्रकुमार आपना उपदेशथी संयमाभिलाषी थाय तो हुँ पण निश्चिन्त थईने जल्दी सर्वविरतिनो स्वीकार करी शकुं" आ विनंतिने लक्ष्यमा राखीने मुंबईथी विहारमा साथे रहेनारा ते पिता-पुत्रने पंन्यासजी महाराज तरफथी मळतां उपदेशनी असर थई अने राजेन्द्रकुमारनी दीक्षानी भावना दृढ थवाथी बोरडी मुकामे अच्छारीवाळा शेठ रायचन्दभाईनी बोर्डीगना मकानमां सं. १९९८ ना माघ वदी ५ ना मंगळ प्रभाते राजेन्द्रकुमारनी
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