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मुनिश्नी श्रीदेवेन्द्रसागरजी, श्रीप्रवीणसागरजी, श्रीदौलतसागरजी, श्रीअमूल्यसागरजी अने श्रीविक्रमसागरजी ठाणां ५; माळवामां डगमुकामे मुनिश्री दर्शनसागरजी अने श्रीप्रेमसागरजी ठाणां २; ग्वालीयर स्टेट बडोद मुकामे मुनिश्री शान्तिसागरजी अने श्रीमलयसागरजी ठाणां २; अने इन्दोरमां मुनिश्री धर्मसागरजी, श्रीअभयसागरजी अने श्रीन्यायसागरजी ठाणां ३; ए रीते कुल छ स्थानोमां थयां हतां । __दर साल भा. सुद ५ ना दिवसे श्रीगोडीजीने देरेथी निकळता रथयात्राना वरघोडामां बार वर्षथी लालबागने उपाश्रयेथी कोई साधु पधारतां नहोतां ते पूज्य पंन्यासजीना शुभाशयथी अने श्रीगोडीजीना टूस्टीओना शुभ-प्रयत्नथी आ सालना वरघोडामां लालबागभां साधुओए पधारवानी शरुआत करी हती । आ प्रसंग बार वर्षे तहन नवीन होवाथी मुंबाईना सकळश्रीसंघनी हाजरी मोटा प्रमाणमा हती।
प्रातःस्मरणीय-पूज्यपाद-आगमोद्धारक-आचार्यदेव-श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरजीनी-प्रतिकृति पूज्य-पन्यासजीना सदुपदेशथी मुम्बईना श्रीसंघे श्रीसंघना दर्शनार्थे मुकावी ।
पन्न्यासजीना सदुपदेशथी — श्रीचन्द्रानन्दलक्ष्भीचित्कोष-उज्जैन 'ने श्रीमाणिक्यचन्द्र-जैन प्रन्थमाळाना जिंदगी पर्यन्तना सभासद बनाव्या ।
लगभग एकसो त्रीस वर्ष उपरांतनो वहीवट निहाळतां श्रीपार्श्वनाथ-जन्म-कल्याणकनो वरघोडो अने बार वर्षे लालबागना साधुओ गोडीजीथी निकळता वरघोडामां भाग लेता थयां आ बे कार्यो तद्दन नवीन थयां ।
पूज्य पंन्यासजीना उपदेशथी उज्जैननिवासी शिरोलिया छगनीरामजी अमरचन्दजी तरफथी बे प्रतिमाजीने अंजनशलाका करावीने नाम लखाव्यु । उज्जैनथी वन्दनार्थ आवेल शेठ मगनीरामजी मांगीलालजीए उज्जैनना खारा कुवाना जैन उपाश्रय माटे रु. ५००० आप्या। __आ चातुर्मासमां तिथिचर्चाना निर्णय माटे बे त्रण वार लालबागना अग्रगण्य साधुने कहेवरावेलुं अने श्रीगोडीजीमा व्याख्यानमां जाहेर पण करेलुं छतां ते साधुओमांनी मुख्य व्यक्ति तरफथी एक ज जवाब मळतो के " अथी विहार करी हुं पालीताणे जवानो कुं, त्यां आपना पूज्य गुरुदेव-साथे निर्णयात्मक-चर्चा न थाय त्यां सुधी आ विषयमा मौन रहेवा धारं छु"।
उपर जणाव्या प्रमाणे मुम्बईनुं आ चातुर्मास शासनने अने शासनमान्य अंगोने वधु लाभदायी निवडयुं ते उपर जणावेली बिनाओने ध्यानपूर्वक वाचवाथी वांचनाराओने मालूम पडे एम छे।
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