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________________ वंदनार्थे संभावित गृहस्थो, श्रीगोडीजीना ट्रस्टीओ तथा बीजा श्रावक-श्राविकाओ दररोज लाभ लेता हता। घणा गामोमां श्रीसिद्धचक्रजीना गट्टाजीनो अभाव होवाथी श्रीगोडीजीना ट्रस्टीओए १००) एक सो पश्चधातुना गट्टाजी कराववानो निश्चय कर्यो । चालु चातुर्मासमां ज्ञानखातानी उपज लगभग रु. ४००० नी थयेली होवाथी गोडीजीना ट्रस्टीओए श्रीसूत्रकृतांगसूत्र अनेकविध परिशिष्टो युक्त बीजी वार छपाववानो निर्णय को तदनुसार ते काम पूज्य पन्न्यासश्रीजीनी अध्यक्षतामा दोसी सोभागचन्द्र उमेदचन्द्र तथा झवेरी पानाचन्द रूपचन्द्र द्वारा हालमा चाली रह्य छ । शेठ देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड तरफथी प्रकाशन करातां ग्रन्थांक ९२ नम्बर तरीके छपाती श्रीसिद्धहेमचन्द्र-बृहद्-अपचूर्णिमां फक्त प्रस्तावना अने विषयानुक्रमादि बाकी छे ते हवे थोडा समयमा बहार पडशे। श्रीनवपदलक्ष्मीनिवास, चन्द्रानन्दलक्ष्मी चित्कोष, महिदपुर-जिनमन्दिर पट्टप्रतिष्ठापन अने श्रीलक्ष्मणी तीर्थ वगेरेना शिलालेखो कोतरावीने मोकलवान कार्य पण अत्रे ज थयु. पोस शुद ५ ने दिवसे अमदावादना शारदा प्रेसमां सूत्रकृतांगसूत्रने मुद्रण करवानुं कार्य नक्की करीने सोप्यु, माह शुद ९ ने दिवसे भावनगरना महोदय प्रेसमां सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासननी बृहद्वृत्त्यवचूर्णि छापवा माटे आपी अने सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन व्याकरण- अने अवचूर्णितुं संशोधन तथा सम्पादनना कार्यनी अहींमुम्बई-थी ज शरुआत थई. आ काम माटे खंभातना श्रीशान्तिनाथ प्राचीन ताडपत्रीय प्रन्थभंडारमांथी केटलाएक ताडपत्रीय ग्रन्थो श्रेष्ठि मूलचन्द बुलाखीदास तथा मोहनलाल हीपचन्द चोकसीद्वारा अने पूनाना भांडारकर-ओरिएण्टल-इन्स्टिटयुटमाथी पांचेक प्रतो भावनगरनिवासी हीरालाल अमृतलालद्वारा मेळवीने कार्यनो प्रारम्भ कर्यो. शाकटायन-अमोघावृत्तिनी हस्तलिखितप्रति रु. ३००) त्रणसो डीपोझीट मूकीने गोडीजीना मेनेजींग ट्रस्टी झव्हेरी भायचन्दभाई, बबलचन्दभाई, अने सौभाग्यचन्दभाईए मेळवी आपी। स्व० शेठ नेमचन्द अभयचन्द झवेरीनी विनंतिथी अट्ठाइनी तपस्या निमित्ते वालकेश्वर जवानुं थयुं त्यां आंगी-पूजा-भावना अने स्वामिवात्सल्यनुं जमण थयु । आगमोद्धारक पूज्य आचार्यदेवेशश्रीनी आज्ञाथी पूज्य पंन्यासजी महाराजना परिवारना आ सालना चातुर्मासो मुम्बाइ विगेरे जुदा जुदा स्थळे नीचे जणाव्या प्रमाणे थयां हता. मुम्ब. ईमा गोडीजीना उपाश्रये पूज्य पं. श्रीचन्द्रसागरजी, मुनिश्री हीरसागरजी, मुनिश्री ज्ञानसागरजी, श्रीरैवतसागरजी अने श्रीहिमांशुसागरजी ठाणां ५; मुम्बईना कोटना उपाश्रये मुनिश्री हंससागरजी, श्रीमुनीन्द्रसागरजी, श्रीनरेन्द्रसागरजी अने श्रीसुरेन्द्रविजयजी ठाणां ४, अमदावाद पासे बारेजामां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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