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आवेलां होवाथी ओळी सिवायना पण माणसोए आ प्रसंगनो लाभ लीधो हतो। भोयणी तीर्थमा करावेली आ आराधना वगेरेना शासनप्रभावनाना कार्योमा सि. आ. समाजने बधो मळीने रु. ११००० उपरांत खर्च थयो, तेमां आमंत्रण आपनारे रु. ६००० आप्या हता अने चालु फंडमां रु. २००० उपरांतनी मदद मळवाथी रु. ३००० नी घट पडी तेनी पूर्ति दानवीर शेठ माणेकलाल चुनीलाले करी आपी हती । जिंदगी पर्यन्तना सभासदोनी (लाइफ मेम्बर) तथा चालु फंडनी आवक भोयणी तीर्थमां लगभग रु. २५००० नी थइ तेथी सि. आ. समाजनी स्थिति घणी संगीन बनवा पामी ।
त्यार पछी मुम्बई जवा माटे भोयणीथी विहार करीने साचादेव श्रीसुमतिनाथनी यात्रार्थे मातर मुकामे जे दिवसे पूज्य पंन्यासजी महाराज सपरिवार पधार्या ते ज दिवसे अमदावादथी साचा देवनी यात्राए त्रणसो माणसोनुं आगमन थयु हतुं, अने आंगीपूजा भावना तथा जमणनो सर्व खर्च दानवीर शेठ मोहनलाल छोटालाल तरफथी करवामां आव्यो हतो।
मुम्बईना गोडीजीना उपाश्रयमा जेम पूज्य पंन्यासजीना चातुर्मासनो निर्णय थयो हतो तेम लालबागना उपाश्रयमा विजयरामचन्द्रसूरिजीना चातुर्मासनो निर्णय थयो हतो, ते अवसरे तिथिमन्तव्यना भेदथी तपागच्छमां वैमनस्य फेलाई रह्यु हतुं. छतां मुम्बईमां तिथिमन्तव्यनी प्राचीन अने परम्परागत-प्रणालिकाने अनुसरनाराओनो मोटो वर्ग हतो अने ते श्रीगोडीजीने उपाश्रये जवाना वलणनो हतो अने परम्पराविरुद्धनी नूतन-प्रणालिकाने अनुसरनारानो नानो वर्ग हतो ते लालबागने उपाश्रये जवाना वलणनो हतो । मातरथी विहार करीने पंन्यासजी महाराज ज्यारे सुरन पधार्या त्यारे विजयरामचन्द्रसूरिजी पूनेथी घाटकोपर पधारी गया हता, ते अरसामां मुम्बईमा हुल्लड फाटी निकळेलु होवाथी विजयरामचन्द्रसूरिजी लालबाग नहि पधारतां घाटकोपर चोमासु करवाना छे माटे पू. पं. चन्द्रसागरजीए पण श्रीगोडीजी नहि पधारतां अन्य स्थळे ज चातुर्मास करवू जोईए एवो प्रयत्न केटलाको तरफथी पत्रद्वारा तथा माणसद्वारा करवामां आव्यो. आ संबन्धी सलाह लेवा योग्य व्यक्तिओनी सलाह लेवाथी एम नक्की थयु के-" घाटकोपर तो मुम्बई ज गणाय अथवा तो लालबागथी ११-१२-माइल ज दूर होवाथी एकदम जइ पण शकाय माटे आ संबन्धमा हाल तो सुरतथी विहार करवो ज अने वापी गया बाद आगळ वधq के केम ते बावतमा ते वखतना संयोगो जोईने निर्णय करवो।"
उपर प्रमाणेनी सलाह मळवाथी पूज्य पंन्यासजी सुरतथी विहार करीने वापी-दम्मण
१-आवो प्रयत्न करनाराओ आन्तरिक हेतु होवार्नु अनुमान थतुं हतुं के तिथिमन्तव्यनी प्राचीन प्रणालिकानुं समर्थन करनार समर्थमुनिनो मुम्बईमां अभाव होय तो अर्वाचीन नूतनप्रणालिकाने अनुसरनाराओनो समुदाय वेग आपवापूर्वक वधारी शकाय, अगर आपणा वलणमां खेंची शकाय ।
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