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________________ कल्याणजीनी पेढीना माणसोने, पंडितो अने मास्तरोने यथायोग्य प्रीतिदान देवामा तथा पूज्य साधु-साध्वीओने प्रव्रज्याविधानकुलक नामना ग्रन्थन सादर समर्पण करवामां शेठ मोहनलाल छोटालाले रु. ८०० उपरांतनो सव्यय कर्यो हतो. श्रीफळनी प्रभावना अने श्री दशवैकालिकसूत्रनी प्रभावना उजैननी शेठ ऋषभदेवजी छगनीरामजीनी पेढीना सद्गृहस्थो तरफथी करवामां आवी हती। आ पद्वीप्रसंगना महोत्सवनी समाप्ति थया बाद आगमोद्धारक पूज्य गुरुदेवनी आज्ञा मेळवीने तळाजा वगेरे नजदिकना तीर्थ-क्षेत्रोनी यात्रार्थे पूज्य पंन्यासजी महाराजे पोताना परिवार सहित पालीताणाथी विहार कों. ९-१० दिवसमा यात्रा करता करतां भावनगर पहोंचवानी तैयारी थई. ते अवसरे मुम्बईनी श्रीगोडीपार्श्वनाथ-जैनमन्दिरनी श्रीविजयदेवसूर-संघनी पेढीना ट्रस्टीओ शेठ भायचन्द नगीनभाई झवेरी, तथा पानाचन्द रूपचन्द झवेरी ए बन्नेए पालीताणा आवीने पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्रीने विनंति करी के पं. श्रीचन्द्रसागरजीने आवतुं चातुर्मास मुम्बई करवानी आज्ञा आपवानी कृपा करो. पूज्य पंन्यासजीनी योग्यता जाणीने पूज्य आचार्यश्रीए तेओनी आग्रहभरेली विनन्तिनो स्वीकार कर्यो अने ते बाबतनो आज्ञापत्र लखी आप्यो, ते लइने ते बन्ने ट्रस्टीओ घोघानी नजीकना खरशालीया गाममां पंन्यासजीने मळ्या; अने आज्ञापत्र बतावी विचारविनिमय करीने मुम्बईना चातुर्मासनी जय बोलावीने त्यांथी तेओ रवाना थया, अने पंन्यासजी महाराज भावनगर पधार्या । भावनगरना श्रीसंघे भावभीनो सत्कार कर्यो, श्रीफळनी प्रभावना थई; अने सात दिवस सुधी व्याख्यानवाणीनो सारो लाभ श्रीसंघे लीधो । पूज्य पंन्यासजी महाराजना उपदेशथी आ सालनी चैत्रमासनी आयंबीलनी ओळी भोयणी तीर्थमा कराववानुं आमंत्रण श्रीसिद्धचक्र आराधक समाजने मळ्यु हतु, तेथी सि. आ. समाजना कार्यवाहकोए आराधना कराववा माटे तथा सि. आ. समाजनी आर्थिक स्थितिने सद्धर बनाववा माटे पूज्य पंन्यासजी महाराजने भोयणी पधारवानी अत्यन्त आग्रहभरेली विनंति करेली होवाथी तेनो स्वीकार करीने भावनगरथी विहार करी जैन वस्तीवाळां मुख्य मुख्य स्थानोमां विचरतां विचरतां अमदावाद थईने पूज्य पंन्यासजी महाराज पोताना शिष्य-प्रशिष्यादि परिवार सहित भोयणी तीर्थे पधार्या । सि. आ. समाजनी विनंतिथी विजयलाव. ण्यसूरिजी पण पोताना शिष्य-प्रशिष्यादि परिवार सहित आ प्रसंगे भोयणी तीर्थे पधार्या हता। नवपदनी आराधनानो लाभ ११००० उपरांत जैनोए लीधो हतो. तेमां २००० नी संख्या तो विधिपूर्वक ओळीनुं आराधन करनाराओनी हती। नवे दिवस आयंबील अने पूजा उपरांत भगवान् श्रीमहावीर-जन्म-कल्याणक, रथयात्रा-महोत्सव अने चैत्री पूनमना देववन्दन, सार्मिकवात्सल्यादि धार्मिक कार्यों पण करवामां आव्या हतां. यात्रालुओने माटे पण जमवानी अने उतरवानी सगवड करेली होवाथी तथा एकमने दिवसे पारणा अने स्वामिवात्सल्य करवामां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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