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________________ ऊणप आववा दीधी नथी अगर पाछी पानी करी नथी, अने तेथी ज प्रासंगिक-शासनहितवर्धक कार्यों आ प्रकरणमा जणावाय छे । आटला लांबा समये पण प्रकाशित थतां आ बन्ने ग्रन्थनी पाछळ विघ्नोनी परम्परारूप आवी पडेली मुश्केलीओ, क्लिष्ट-प्रतिकूळ संयोगो अने परिमित-साधनोने लईने आवी पडेली अगवडो वेठीने तथा साधुजीवन-चर्याना पोषक-विहारादि कार्यों करतां रहीने पण पूज्य गुरुवर्य श्रीए अपूर्व श्रद्धाबळथी आरम्भेला आ शुभ कार्यनी पाछळ पोतानो अविरत-परिश्रम चालु राख्यो त्यारे ज आ ग्रन्थना प्रकाशननी अभिलाषा आजे सफळ थइ शकी छे । वि. सं. १९९७ना मुम्बईना चातुर्मासनो पूर्वरंग । श्रीसिद्धक्षेत्र जेवा पवित्र तीर्थस्थानमां सं. १९९७ ना प्रारम्भमां पूज्य गुरुदेवने श्रीभगवती-सूत्रना योगोद्वहननी शुभ-क्रियाओ समाप्त थवा आवी हती। ते जवसरे ए योगोद्वहननी समाप्तिना सूचक-गणिपद-समर्पणर्नु मुहूर्त सं० १९९७ ना मागशर शुद ५ नुं अने पंन्यासपद-समर्पण- मुहूर्त मागसर शुद ९ नुं निश्चित्त थयुं हतुं । वळी पूज्य गुरुदेवने आ योगोद्वहननी क्रियाओ करावनार स्व० पू० पं० श्रीक्षमासागरजी गणिवरने उपाध्याय पद समर्पण करवानुं मुहूर्त पण ते ज दिवसे हतुं. उपरोक्त त्रणे पदना समर्पणनी क्रियाओ शासनसंरक्षक-शैलानानरेशप्रतिबोधक-वर्द्धमान जैनागम-मन्दिर-संस्थापक आगमोद्धारक-आचार्यदेवेश-पूज्य-श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरजीना वरद हस्ते पन्नालाल बावूनी धर्मशाळाना विशाळ चोगानमां बांधवामां आवेला सुशोभित मंडपमा थई हती। ___ आ पद्वी-प्रदान-प्रसंगे अष्टातिका महोत्सव, शान्तिस्नात्र अने स्वामीवात्सल्य-संघजमण अनुक्रमे दानवीर शेठ मोहनलाल छोटालाल, संघवी पोपटलाल धारशीमाई नगरशेठ, अने शेठ गिरधरलाल छोटालाल तरफथी लगभग चार हजारना खर्चे थवानुं निश्चित थवाथी ते संबन्धी कुंकुमपत्रिकाओ घणे स्थळे पहोंचाडवामां आवेली होवाथी अमदावाद वगेरेथी तथा नजीकना गामोमांथी केटलांक माणसो तो आव्यां हता. परन्तु पूज्य गुरुदेवना असीम-उपकारथी उपकृत थयेला माळवादेशना खास करीने उज्जैन-महिदपुर-राजगढ वगेरे नगरना संघोमांथी संभावित श्रावक-श्राविकाओनी ४०० उपरांत संख्यामां एक स्पेशीयल टेन पण आवी हती। आ प्रसंगे आवनाराओने तीर्थयात्रानो लाभ पण मळेलो होवाथी तेओने तो " एक पंथने दो काज" नी जेम बन्ने लाभनी प्राप्ति थई हती । ___ पद्वी-प्रदाननी समाप्ति थतां अनेक गामना संघो तरफथी तथा केटलीएक व्यक्तिओ तरफथी पदवीधरोनी उपर गरम कंबळो अने कपडांनी विशाळ-वृष्टि नजरे निहाळाती हती। आ प्रसंगने वधु उज्ज्वळ बनाववा माटे धर्मशाळाना, आगममन्दिरना, शेठ आणन्दजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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