SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ते अवसरे हमारुं चातुर्मास मुम्बई मुकामे गोडीपार्श्वनाथ जैन उपाश्रयमा हतुं तेथी आ प्रन्थने प्रकट कराववानी वात मुम्बईमा रहेता शेठ दे. ला. जैन पु. फण्डना ट्रस्टी स्व. शेठ नेमचन्द अभेचन्द झवेरीने समजावतां तेओए अमारी वात स्वीकारीने उपरोक्त बीना फण्डना बीजा ट्रस्टीओ पासे पण मंजुर करावी । त्यार पछी आ ग्रन्थनी प्रेसकोपी करावीने छपाववानी शरुआत करावी ते लगभग चार वर्षे बहार पडे छे । आ ग्रन्थनी ताडपत्रीय प्रति मेळवी आपनार खम्भातनिवासी सुश्रावक मूलचन्द बुलाखीदास तथा मोहनलाल दीपचन्द चोकसीए अने प्रकाशन-करनार दे. ला. फण्डना ट्रस्टीओए अखंड पुण्य उपार्जन कर्यु छ अने भविष्यमा आवां आवां प्राचीन साहित्यने मेळवी आपीने प्रकट कराववामां यथाशक्ति मददगार बनीने पुण्यना भण्डार भरवामां उद्यमवंत रहेशे एवी तेओने अमारी भलामण छ । अवचूर्णि-ग्रन्थनी आ अवचूर्णि श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनना प्रथमाध्यायना प्रथमपादना महत्ता. प्रथम सूत्रथी तृतीयाध्यायना प्रथमपादना अन्तिम-सूत्र सुधीनी छ । सिंहासनादि अष्ट-महाप्रातिहार्यनी वास्तविक महत्ता जेम त्रिलोकनाथ भगवन्त तीर्थंकरोने आभारी छे तेम आ अवचूर्णिनी महत्ता श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनने आभारी छे, तेथी ते प्रधानतम-व्याकरणनी महत्ताने प्रथम पिछाणवी ए प्रासंगिक-निवेदननो आवश्यक विभाग छ । प्रकाशन-कराता आ अवचूर्णिप्रन्थ-सम्बन्धमा रचनासमय, प्राचीनता समकालीन अभ्यासक, साहित्यसंरक्षणादि अने प्रकाशननी जरुरीयात विगेरे प्रकरणो जणावीने प्रस्तुत प्रकाशननी यथास्थित महत्ता दर्शावी गया छतां जे ग्रन्थने अवलम्बीने आ अवचूणि लखाई छे ते ग्रन्थनी महत्ता अवश्यमेव जाणवी जरुरनी छे । कलिकालसर्वज्ञ भगवान् श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरजीए श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन नामना आ प्रधानतम व्याकरणग्रन्थने क्यारे रच्यो ?, कया संजोगोमां रचायो ?, जन्मप्रदेश-कार्यप्रदेश अने प्रचारप्रदेश तेओश्रीने केवी रीते सहायक बन्या ?, परम्पराए पुनीत वारसो केवी रीते मळ्यो ?; अने तेओश्रीने प्राप्त थयेलां कलिकालसर्वज्ञादि-बिरुदो तथा तेओश्रीए रचेला आ प्रधानतम व्याकरणनी विशिष्टताओ सम्बन्धी सम्पूर्ण प्रकाश पाडे तेवा भरचक भव्य प्रकरणोथी विभूषित शाचेप्रस्तावनानो साधन्त वांचन, मनन अने परिशीलनपूर्वक अभ्यास करवानी अभ्यासियोने अमारी भलामण छ । १-जूओ-मुम्बई चातुर्मासिक नोंध अ. विभाग । २-जूओ-श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन मन्थनी शास्त्रप्रस्तावना. श्रीसि. हे. श. शासन-प्रथमविभाग, श्रीहेमबन्द्रानन्दप्रन्थान्धिः-प्रन्थरत्न २, प्रकाशिका-श्रीसिद्धचक्रसाहित्यप्रचारकसमिति । प्रस्तुतप्रकाशननो आ-विभाग । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy