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________________ २४६ चैत्य शब्द के अर्थ ********************************************** पाठक वृन्द! अब जरा उक्त दो या तीन अर्थों से भिन्न अन्य अर्थ इन्हीं के मूर्ति पूजक ग्रन्थकारों की ओर के देखिये - १. कल्प सूत्र (खेमविजयजी गणिवाला) पृ० ६० पं० ६ में “वेयावत्तस्स चेइयस्स' लिखा है और इसका अर्थ "व्यंतर, मन्दिर" किया है। २. भगवती सूत्र के टीकाकार श्री अभयदेव सूरि निम्न अर्थ करते हैं। “चेइए" ति चितेर्लेप्यादिचयनस्य भावः कर्मवेति चैत्यंसंज्ञाशब्दत्वादेवबिम्बम्तदाश्रयत्वात्तद्गृहमपि चैत्यम्तच्चेइव्यंतरायतनम्, नतुभगवतामर्हतायतनम्" (यहाँ व्यंतरायतन अर्थ कर अर्हत् प्रतिमा का निषेध किया है।) ३. ठाणांग सूत्र ठा० ३ उ० १ की टीका में। चैत्यमिव जिनादि प्रतिमेव चैत्यं “श्रमणं" (इस स्थान पर चैत्य शब्द का अर्थ साधु किया है।) ४. रायपसेणइय सुत्त में - “चैत्यं सु प्रशस्त मनो हेतुत्वात" (इस स्थान पर स्वयं प्रभु को ही सुप्रशस्त मन के हेतु चैत्य शब्द से कहा है) ५. अनेकार्थ कोष में श्री हेमचन्द्राचार्य लिखते हैं - "चित्यं मृतक चैत्येस्यात्(मृतक चैत्य) । ६. श्री हरिभद्र सूरिजी "ललितविस्तरा'' में निम्न अर्थ करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002998
Book TitleJainagama viruddha Murtipooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size12 MB
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