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[22] ***************************************** अनन्तीवार एम सर्वदेवलोक मध्ये उपन्या छे, पण देवांगना पणे सर्व ठेकाणे नथी उपन्या, कारण के बीजा देव लोक सुधीज देवांगना छे, ते उपरनां देवलोक मां देवांगना नथी, ते माटे तेमज पांच अनुत्तर विमाने पण पृथ्वीकायादि पणे अनंती वार उपना छे पण देवपणे के देवांगना पणे उत्पन्न थया नथी, कारण के देवांगना त्याँ छे नहीं, अने देव सर्व एकावतारी छे माटे देवपणे संसारी सर्वजीव उत्पन्न थया नथी।" ___आ पाठ परथी स्पष्ट थाय छे के मात्र पांच अनुत्तर विमान ना देव अने त्रीजा देवलोक थी देवीपणे उत्पन्न थवा सिवाय सर्व जग्याए सर्व पदपर सर्व जीवो उत्पन्न थइ शके छे, एटले भव्य होय के अभव्य होय, सम्यक्त्वी होय के मिथ्यात्वी होय गमे ते होय ते उत्पन्न थाय, अने जे जग्याए जे उत्पन्न थाय ते स्थान परत्वे जे काई क्रिया प्रवृत्ति करवानी होय ते करवीज पड़े, पछीते श्रद्धा थी करे के रूढि प्रणालिका ने वशवर्ती ने करे, पण करवीज जोइए एमा शंका नथी। - श्री भगवती जी सूत्रना १२ माँ शतक ना ७ मां उद्देशा मां पण एज वात करी छे के -
भगवान् श्री गौतम स्वामीना पूछये थके श्री वीर प्रभुए कहेल छे के बीजा देवलोक पछी देवी पणे अने पाँच अनुत्तर विमानना देवपणे जीव उत्पन्न थयो नथी, ते सिवाय दरेक जीव दरेक स्थले कर्म सहित आत्मा दरेक स्थिति मां उत्पन्न थयेल छे. एटले इन्द्रो अने देवो भव्य होय के अभव्य होय, सम्यक्त्वी होय के मिथ्यात्वी पण होय पण ते सर्वे जीताचार मुजब पूर्वगत रूढ़ि अनुसार प्रतिमादिनी पूजा करे, एथी सिद्ध थाय छे के प्रतिमा ए जिनेश्वर देवनी न होय, अने पूजनारा बधाए सम्यक्त्वी पण न होय, लोकान्तिक देवोनुं पण एमज छ। अर्थात् सूर्याभ देवे पूजेल प्रतिमा जिनेश्वर देवनीज प्रतिमा हती एवं छे नहीं
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