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________________ [23] तेमज एणे धर्म भावना थी के आत्म कल्याण नी भावना थी प्रतिमा पूजन कर्यु नथी पण रूढ़ि अनुसार करवी जोई ली क्रिया तरीके ए क्रिया करी छे। अने एम तो राज्याभिषेक के एवा कोई खास प्रसंगे वर्तमान काले पणे हिन्दू राजाओं ने मुस्लिम क्रियाने के मुस्लिम राजाने हिन्दू धर्म क्रिया ने मान आपq पड़े छे एटलुंज नहिं पण कोई कोई क्रिया जाते पण करवी पड़े छ। पण एथी कोई एम नथी मानतु के हिन्दू राजा मुस्लिम धर्म प्रत्ये श्रद्धा राखे छे के मुस्लिम राजा हिन्दु धर्म प्रत्येक श्रद्धा राखे छे. राजधर्म तरीके जे वखते जे खास प्रवृत्ति रूढ़ि अनुसार करवी जोइए ते करे, तेथी कांई विशेषता नथी। ____ आ सूर्याभदेव सम्बन्धी अने तेणे करेल प्रतिमा पूजन संबन्धी विशेष विगत जाणवानी इच्छावालाए पं० श्री बेचरदास जी दोसी कृत श्री रायपसेणीय सूत्रनो गुजराती अनुवाद अने तेमां लखेल आज लेखक नो उपोद्घात जिज्ञासुवृत्ति वालाए एकवार जरूर वांचवो, जेमा घणी जातना खुलासा थयेल छे, तेमज आ पुस्तक ना पृ० ३६ थी शुरु थतुं शाश्वती प्रतिमा अने सूर्याभदेव नुं प्रकरण बहुज शांतिथी अने तटस्थ वृत्ति थी वांचq के जेथा श्रीयुत रतनलाल दोशीए करेल सप्रमाण शास्त्रोक्त अने बुद्धि गम्य खुलासा थी सत्य शु छे ते स्पष्ट समजाशे। दाढ़ा पूजन मूर्ति पूजाने सिद्ध करवाने माटे मूर्ति पूजक बन्धुओ श्री तीर्थकर देव परमपद पामे त्यारे पछी तेमना स्थूल देहनो अग्नि-संस्कार थयापछी इन्द्रादि देवो ते देहनी राखने क्षीर समुद्रमा पधरावे छे, अन तेमनी दाढ़ाओ ने पोते लाई जईने पूज्य वस्तु तरीके राखे छे आ ऊपर थी प्रतिमा पूजको मूर्ति पूजानी सिद्धि थयेल माने छे अने कहे छे के जो Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.002998
Book TitleJainagama viruddha Murtipooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size12 MB
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