SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [12] धन्यवाद! पहले से थोक ग्राहक होकर मेरे इस समाजोपयोगी कार्य में सहायक होने वाले महानुभावों का हार्दिक स्वागत करता हुआ उनकी शुभ नामावली आदर्श के लिए उपस्थित करता हूँ। प्रति शुभनाम १०० श्रीमान् सेठ वर्धमानजी साहब पितलिया, रतलाम। १०० श्रीमान् सेठ भैरोदानजी जेठमल जी सेठिया बीकानेर। १०० श्रीमान् सेठ गुलाबचन्दजी पानाचन्दजी मेहता, राजकोट। १०० श्रीमान् सेठ दलीचन्दजी ऊँकारलालजी रांका, सैलाना। ५.० श्रीमान् सेठ रतनलालजी साहब नाहर, बरेली। २५ श्रीमान् सेठ सोमचन्दजी तुलसीदास जी, रतलाम। इन महानुभावों के वचन प्राप्त होने पर पुस्तक प्रकाश में आई, अतएव इस पुस्तक से जो भी समाज हित होगा, उसका अधिकांश श्रेय उक्त महानुभावों को है। श्रीमान् मुनिवर्य सदानन्दी छोटालाल जी महाराज साहब ने अपने समय और शक्ति का भोग देकर इस पुस्तक पर मननीय भूमिका लिखी है, अतएव यह लेखक मुनिराज श्री का हार्दिक उपकार मानता है। इस पुस्तक में जिन-जिन ग्रन्थकारों और लेखकों के ग्रन्थों तथा समाचार पत्रों की सहायता ली गई है, उनका उपकार माने बिना कैसे रह सकता हूँ, यदि कागजों का दुष्काल नहीं होता तो सबका पृथक्-पृथक् परिचय देता, जिससे एक बहुत बड़ी सूची बन जाती। किन्तु इस निकृष्ट समय में मात्र समुच्चय आभार मानकर ही सन्तोष करना पड़ता है। ___ - लेखक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002998
Book TitleJainagama viruddha Murtipooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy