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चोवीस दण्डक ।
(८७)
३ जो केवल पांव से लगा कर नाभि ( या कटि ) तक सुन्दर होवे सो सादिक संस्थान ।
४ जो ठेंगना ( ५२ अङ्गुल का ) हो सो वामन संस्थान |
५ जिस शरीर के पांव, हाथ, मस्तक, ग्रीवा न्यूनाधिक हो व कुबड़ निकली होवे और शेष अवयव सुंदर होवे सो कुब्ज संस्थान |
६ हुएडक संस्थान - रुंद, मूंद, मृगा पुत्र, रोहवा के शरीर के समान अर्थात् सारा शरीर बेडौल होवे सो हुडक संस्थान |
(५) कषाय द्वार - कपाय चार -१ क्रोध २ मान ३ माया ४ लोभ |
(६) संज्ञा द्वार:- संज्ञा चार -१ श्राहार संज्ञा २ भय संज्ञा ३ मैथुन संज्ञा ४ परिग्रह संज्ञा ।
(७) लेश्या द्वार : - लेश्या छ:- १ कृष्ण लेश्या २ नील लेश्या ३ कापोत लेश्या ४ तेजो लेश्या ५ पद्म लेश्या ६ शुक्र लेश्या ।
(c) इन्द्रिय द्वार : - इन्द्रिय पांच - १ श्रुतेन्द्रिय २ चतु इन्द्रिय ३ घ्राणेन्द्रिय ४ रसेन्द्रिय ५ स्पर्शेन्द्रिय |
(ह) समुद्घात द्वार : - समुद्घात सात - १ वेदनीय समुद्घात २ कषाय समुद्घात ३ मारणांतिक समुद्घात
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