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चावास दण्डक ।
(८३)
चोवीस दण्डक। चोवीस दण्डक का वर्णन सूत्र श्री जीवाभिगम जी में किया हुवा है।
गाथा:सरीरो गाहण संघयण, सठाण कसाय तहहुंति सनाय । लेसिदिअ समुघाए, सन्नी वैदेश पज्जत्ति ॥१॥ विठि दंसण नाणा नाण, जोगो वउग तह आहारे । उववाय ठिइ समुहाये चवण गइ आगई चेव॥ २॥
चोवीस द्वारों के नाम (१) शरीर द्वार (२)xअवगाहण द्वार (३) *संघयन झार (४) संस्थान = द्वार (५) कषाय द्वार (६) संज्ञा द्वार (७) लेश्या द्वार (८) इन्द्रिय द्वार (६) समुद्घात द्वार (१०) संज्ञी असंज्ञी द्वार (११) वेद द्वार (१२) पर्याप्ति द्वार (१३) दृष्टि द्वार (१४) दर्शन द्वार (१५) ज्ञान द्वार (१६) योग द्वार (१७) उपयोग द्वार (१८) आहार द्वार(१६) उत्पत्ति द्वार (२०) स्थिति द्वार (२१) ( समोहिया) मरण द्वार (२२) चवण द्वार २३ गति द्वार २४ अागाति द्वार।
(१)शरीर द्वारः-शरीर पांच-१ औदारिक शरीर - लम्बाई * शरीर की बनावट = शरीर की प्राकृति।
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