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सिद्ध द्वार।
(७७)
सिद्ध द्वार १ पहिली नरक के निकले हवे एक समय में जघन्य एक सिद्ध होवे, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते हैं।
२ दूसरी नरक के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक सिद्ध, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते हैं।
३ तीसरी नरक के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक सिद्ध, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते हैं।
४ चौथी नरक के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट चार सिद्ध होते हैं । ... ५ भवन पति के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते हैं।
६ भवन पति की देवियों में से निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट पांच सिद्ध होते हैं।
७ पृथ्वी काय के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट चार सिद्ध होते हैं।
८ अपकाय के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट चार सिद्ध होते हैं।
- वनस्पति काय के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उस्कृष्ट छः सिद्ध होते हैं।
१० तिर्यंच गर्भज के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते हैं ।
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