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थोकड! संग्रह। कलं नहीं, कराऊं नहीं, अनुमोदूं नहीं, वचन से । ३ करूं नहीं, कगऊं नहीं, अनुमोदूं नहीं, काया से ।
अांक एक बत्तीस का-तीन करण व दो योग से, त्याग करे । भांगा तीन
१ करुं नहीं, कराऊ नहीं, अनुमोदूं नहीं, मन से, वचन से । २ करं नहीं, कराऊ नहीं, अनुमोदूं नहीं, मन से काया से । ३ करूं नहीं, कराऊं नहीं, अनुमोदूं नहीं, वचन से, काया से।
अांक एक तेंतीस का-तीन करण व तीन योग स त्याग लेवे । भांगा एक
१ करुं नहीं, कगऊ नहीं, अनुोई नहीं, मन से वचन से, काया से। एवं ४६ भांगा सम्पूर्ण ।
२५ पच्चीशवें बोले 'चारित्र पांच-१ सामायिक चारित्र २ छेदोपस्थानिक चारित्र ३ परिहार विशुद्ध चारित्र ४ सूक्ष्म संपराय चारित्र ५ यथाख्यात चारित्र ।
॥ इति पच्चीस बोल सम्पूर्ण ॥
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१ श्रात्मा का पर भाव से दूर होना और स्वभाव में रमण करना ही चारित्र है।
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