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________________ पच्चीस वोल। (७५) अनुमोदूं नहीं वचन से ६ करूं नहीं अनुमोदूं नहीं काया से ७ कराऊं नहीं अनुमोदूं नहीं मनसे ८ कराऊं नहीं अनुमोदूं नहीं वचन से 8 कराऊं नहीं अनुमोदूं नहीं काया से । अांक एक बावीस का-दो करण और दो योग त्याग करे । मांगा नव १ करुं नहीं, कराऊं नहीं, मन से, वचन से । २ करूं नहीं,कराऊं नहीं,मन से, काया से ।३ करुं नहीं,कराऊं नहीं, वचन से, काया से । ४ करुं नहीं,अनुमोदूं नहीं,मन से वचन से । ५ करूं नहीं,अनुमोदूं नहीं,मन से काया से । ६करूं नहीं, अनुमोदं नहीं, वचन से काया से । ७ कराऊं नहीं, अनुमोदं नहीं,मन से वचन से ८ कराऊं नहीं, अनुमोदूं नहीं, मन से काया से कराऊं नहीं, अनुमोदं नहीं,वचन से,काया से । प्रांक एक तेवीश का-दो करण और तीन योग से त्याग लेवे । भांगा तीन १ करूं नहीं, कराऊं नहीं, मन से,वचन से,काया से। २ करुं नहीं, अनुमोदूं नहीं, मन से, वचन से, काया से । ३ कराऊं नहीं, अनुमाएं नहीं, मन से, वचन से,काया से एवं ४२ मांगा। प्रांक एक एकतोस का-तीन करण व एक योग से त्याग गृहण कर । मांगा तीन___ १ करुं नहीं, कराऊं नहीं, अनुमोदूं नहीं, मन से । २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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