SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७४) थोकडा संग्रह) हुवे को अनुमोदूं नहीं वचन से ६ करते हुवे को अनुमोदूं नहीं काय से एवं नव भांगे। प्रांक एक बारह (१२)का-एक करण और दो योग से त्याग करे । इसके नव भांगे १ करूं नहीं मन से वचन से २ करूं नहीं मन से काया से ३ करूं नहीं वचन से काया से ४ कराऊं नहीं मन से वचन से ५ कराऊं नहीं मन से काया से ६ कराऊं नहीं वचन से काया से । ७ करते हुवे को अनुमोदूं नहीं मन से वचन से ८ करते हुवे को अनुमोदं नहीं मन से काया से करते हुवे को अनुमोदूं नहीं वचन से काया से। प्रांक एक तेरह का-एक करण और तीन योग से त्याग करे । भांगा तीन १ करूं नहीं मनसे, वचन से, काया से, २ कराऊं नहीं मन से, वचन से, काया से, ३ करते हुवे को अनुमोदूं नहीं मन से,वचन से,काया से, एवं कुल (8+8+३) २१ भांगा। प्रांक एक इक्कीस का-दो करण और एक योग से त्याग करे । भांगा नव १ करूं नहीं कराऊं नहीं मन से २ करूं नहीं कराऊं नहीं वचन से ३ कर नहीं कराऊं नहीं काया से ४ करूं नहीं अनुमोदूं नहीं मन से ५ करूं नहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy