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________________ (६८) थोकडा संग्रह। १ श्रोतेन्द्रिय के तीन विषय-१ जीव शब्द २ अजीव शब्द ३ मिश्र शब्द । २ चक्षु इन्द्रिय के पांच विषय -१ कृष्ण वर्ण २ नील वर्ण ३ रक्त वर्ण ४ पीत ( पीला ) वण ५ श्वेत (सफेद ) वर्ण। ३ घ्राणेन्द्रिय के दो विषय-१ सुरभि गन्ध २ दुरभि गन्ध । ४ रसन्द्रिय के पांच विषय- तीक्ष्ण ( तीखा) २ वटुक ( कड़वा) ३ कपायित ( कषायला) ४ क्षार (खट्टा) ५ मधुर ( मिष्ट मीठा )। ५ स्पर्शेन्द्रिय के पाठ विषय-१ कर्कश २ मृदु ३ गुरू ४ लघु ५ शीत ६ उष्ण ७ स्निग्ध (चिकना) ८ रूक्ष ( लुखा ) एवं २३ विषय । १३ तेरहवें बोले मिथ्यात्व दश-१ जीव को अजीव समझे तो मिथ्यात्व २ अजीव को जीव समझे तो मिथ्यात्व ३ धर्म को अधर्म समझे तो मिथ्यात्व ४ अधर्म को धर्म समझे तो मिथ्य त्व ५ साधु को असाधु समझे तो मिथ्यात्व ६ असाधु को साधु समझे तो मिथ्यात्व ७ सुमार्ग (शुद्ध मार्ग) को कुमार्ग समझे तो मिथ्यात्व ८कुमार्ग को सुमार्ग समझे तो मिथ्यात्व ह सर्व दुःख से १३ जीवादि नव तत्वों की संशय युक्त वा विपरीत मान्यता होना तथा अनध्यसाय निर्णय बुद्धि का न होना मिथ्यात्व है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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