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(७०६)
थोकडा संग्रह।
दण्डक में भी विना उपक्रम से चवे, स्थावर, तीन विकलेन्द्रिय, तिर्यंच पंचेन्द्रिय और मनुष्य एवं १० दण्डक के जीव तीनों ही उपक्रम से चके ।
४ नारकी स्वात्म ऋद्धि ( नरकायु आदि ) से उत्पन्न होवे कि पर ऋद्धि से ? स्वऋद्धि से और निकले (चवे) भी स्वऋद्धि से एवं २३ दण्डक में जानना ।
५२४ दण्ड क के जीव स्वप्रयोग ( मन वचन काय) से उपजे और निकले, पर प्रयोग से नहीं।।
६ २४ दण्डक के जीव स्वकर्म से उपजे और निकले (चवे), पर कर्म से नहीं।
॥ इति सोपक्रम निरूपक्रम सम्पूर्ण ।।
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