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थोकडा संग्रह।
२ स्थापना निक्षेप-जीव व अजीव की सदृश (सद् भाव ) तथा असदृश (अदृश भाव ) स्थापना (प्राकृ. ति व रूप] करना सो स्थापना निक्षेप।
(३) द्रय निक्षेप-भूत और वर्तमान काल की दशा को वर्तमान में भाव शून्य होते हुवे कहना व मानना; जेसे युव रज तथा पदभ्रष्ट राजा को राजा मानना,किसी के कलेवर ( लाश ) को उसके नाम से जानना ।
(४) भाव निक्षेप-सम्पूर्ण गुण युक्त वस्तु को ही वस्तु रूप से मानना ।
___ दृष्टान्त-महावीर नाम सो नाम निक्षेप किसी ने अपना यह नाम रखा हो, महावीर लिखाहो, चित्र निकाला हो, मूर्ति होवे अथवा कोई चीज रख कर महावीर नाम से सम्बोधित करते हों तो यह महावीर का स्थापना निक्षेप केवल ज्ञान होने के पहिले संसारी जीवन को तथा निर्वाण प्राप्त करने के बाद के शरीर को महावीर मानना सो महावीर का द्रव्य निक्षप और महावीर स्वयं केवल ज्ञान दर्शन सहित विराजमान हों उन्हीं को ही महावीर मानना [ कहना ] सो भाव निक्षेप इस प्रकार जीव,अजीव
आदि सर्व पदार्थों का चार निक्षेप लगाकर ज्ञान हो सक्ता है।
३ द्रव्य गुण पर्याय द्वार -धर्मास्ति काय श्रादि जैसे ६ द्रव्य हैं, चलन सहाय आदि स्वभाव यह प्रत्येक
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