SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६ कार्य के बाल । । इन्हें चार से गुणा करने पर [ चार शाखा पर ] २= अन्तर द्वीप हुवे | ये अन्तर द्वीप 'चुल्ल हेमवन्त' पर्वत पर हैं। ऐसे ही ऐरावत क्षेत्र की सीमा पर 'शिखरी' नामक पर्वत है, जो 'चुल्ल हेमवन्त' पर्वत के समान है । इस शिखरी नामक पर्वत के पूर्व पश्चिम के सिरों पर भी २८ अन्तर द्वीप हैं । एवं दो पर्वत के सिरों पर कुल छप्पन अन्तर द्वीप हैं । संमूर्छिम मनुष्य के भेद | संमूमि मनुष्य-गर्भज मनुष्य के एक सो एक क्षेत्र में १४ स्थानक ( जगह ) पर उत्पन्न होते हैं । १४ स्थानक के नाम ( ५३ ) १ उच्चारे सुवा -बड़ी नीति-विष्टा में | २ पासवण सुवा - लघु नीति - पेशाब (मूत्र) में | ३ खेले सुवा - खखार में | ४ संघाणे सुवा - श्लेषम- नाक के सेड़े में | ५ ते सुवा - मन- उष्टी- में | ६ पित्ते सुवा- पित्त में । ७ पुइये सुवा- रस्सी - पपि में । ८ सोणियेसुवा - रुधिर - रक्त में । सुक्के सुवा - वीर्य रज में । * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy