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________________ थोकडा संग्रह | १० सुक्क पोग्गल पडिसाडियाए सुवा - वीर्य के सूखे पुद्गल पुनः गीले होवे उसमें । ११ विगय जीव कलेवरे सुवा - मनुष्य के मृतक शरीर में । ( ५४ ) १२ इत्थि पुरिस संजोगे सुवा - स्त्री पुरुष के संयोग में । १३ नगर निधमनियाए सुवा-नगर की गटर आदि में । १४ सव्व असुई ठाणे सुवा - सर्व मनुष्य सम्बन्धी अशुची स्थानक में । गर्भज मनुष्य की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट तीन पल्योपम की । संमूर्छिम मनुष्य की स्थिति जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की । मनुष्य का कुल बारह लाख करोड़ जानना । (4 ܐܐ ४ देव के भेद | देव के चार भेद - १ भवनपति २ वाणव्यन्तर ३ ज्योतिषी ४ वैमानिक | १ भवनपति के २५ भेदः - १ दश असुर कुमार २ पन्द्रह परमाधामी एवं २५ । दश असुर कुमार - ९ असुर कुमार २ नाग कुमार ३ सुवर्ण कुमार ४ विद्यतं कुमार ५ अनि कुमार ६ द्वीप कुमार ७ उदधि कुमार ८ दिशा कुमार ६ पवनें कुमार १० स्थनित कुमार । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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