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________________ (५२) थोकडा संग्रह । योजन ऊंचा २५ योजन पृथ्वी में उंडा ( गहरा ) १०५२ १२ [१२ कला] योजन चौड़ा, २४६३२ योजन और ३ १६ कला लम्बा पीले सोने का 'चुल्ल हेमवन्त' पर्वत है। इसकी बांह ५३५० योजन और १५ कला की है, धनुष्य पीठीका २५२३० योजन और ४ कला की है, इस पर्वत के पूर्व पश्चिम सिरे से चौरासीसो, चौरासीसो योजन जाजरी लम्बी दो डाढे [शाखा] निकाली हुई हैं। एक २ शाखा पर सात सात अन्तर द्वीप हैं जगती[तलेटी]से ऊपर डाढा की ओर ३०० योजन जाने पर ३०० योजन लम्बा व चौडा पहला अन्तर द्वीप आता है वहां से चार सो योजन जाने पर, चार सो योजन लम्बा व चौड़ा दुसरा अन्तर द्वीप श्राता है । वहां से ५०० योजन आगे जाने पर ५०० योजन लम्बा व चौड़ा तीसरा अन्तर द्वीप आता है। वहां से ६०० योजन आगे जाने पर ६०० योजन लम्बा व चौड़ा चौथा अन्तर द्वीप आता है । वहां से ७०० योजन आगे जाने पर ७०० योजन का लम्बा व चौड़ा पांचवा अन्तर द्वीप आता है। वहां से ८०० योजन आगे जाने पर ८०० योजन लम्बा व चौड़ा छठा अन्तर द्वीप आता है । वहां से ६०० योजन आगे जाने पर ६०० योजन लम्बा व चौड़ा सातवां अन्तर द्वीप पाता है। इस प्रकार एक २ शाखा पर,सात सात अन्तर द्वीप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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