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श्राहार के १०६ दोप।
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के लिये अन्य चीजें मिलावे ( दूध में शकर
आदि मिलाव) (२) द्वेष-दोप-निरस आहार मिलने से घृणा लावे तो (३) राग-दोष-सरस ,, , , खुशी,, ,, (४) अधिक प्रमाण में [ ढूंस २ कर ] अाहार करे तो [५] कालातिकम दोष-पहेले पहर में लिये हुवे का
४ थे पहेर में आहार करे तो। [६] मार्गातिक्रम दोष-दो गाउ से अधिक दूर
लेजाकर आहार करे तो। [७] सूर्योदय पहेले सूर्योदय पश्चात् आहार करे तो । [८] दुष्काल तथा अटवी में दानशालाओं का ,
लेवे तो। [६] ,, में गरीबों के लिये किया हुवा आहार ,,, [१०] ग्लान-रोगी प्रमुख , " " " " " [११] अनाथों के लिये , " " " " [१२] गृहस्थ के आमन्त्रण से उसके घर जाकर आहार
लेंवे तो। श्री प्रश्न व्याकरण सूत्र में बनाये हुवे ५ दोष
[१] मुनिके निमित्त आहार का रूपान्तर करके देवे तो १२] , , , , , पोय पलट , , " [३] गृहस्थ के यहां से अपने हाथ द्वारा आहार लेवे तो [४] मुनि के निमित्त भंडारिये आदि के अन्दर से
निकाल कर दिया हुवा आहार लेवे तो।
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