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थोकडा संग्रह।
[२१] अप्रतीतकारी [ स्त्री पुरुष दुराचारी होवे
ऐसे कुल का ] का आहार लेवे तो। [२२] जिसने अपने घर पर आने के लिये मना
किया होवे ऐसे गृहस्थ के घर का आहार लेवे तो [२३] मदिरादि वस्तु की गोचरी करे तो-महा दोष है -: श्री नाचारांग सूत्र में बताये हुवे ८ दोषः[१] महेमान निमित्त बनाये हुवे आहार में से उनके
जीमने के पहिले आहार लेवे तो। [२] त्रस जीवों का मांस [ जो सर्वथा निषिद्ध है ]
लेवे तो महादोष । [३] पुन्यार्थ धन-धान्य में से बनाया हुवा आहार
लेवे तो। [४] रसोई [ ज्योनार-जीमनवार ] में से आहार
लेवे तो। [५] जिस घर पर बहुतसे भिखारी-भोजनार्थी इकठे ___ हुवे हो उस घर में से आहार लेवे तो। [६] गरम आहार को कूक देकर वहोराया हुवा (७) भूमि गृह (भोयरा-ऊडी भकारी) में से निकाला
हुवा आहार लेवे तो। (८) पंखे आदि से ठण्डे किये हुवे आहार को लेवे तो श्री भगवती सूत्र में बताये हुवे १२ दोष (१) संयोग दोष आये हुवे आहार में मनोज्ञ बनाने
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