________________
। ६३२)
थोकडा संग्रह।
Pho
[५] मधुरवचन बोल कर [खुशामद करके ] आहार
का याचना करके लेवे तो। श्री निशीथ सूत्र में बताये हुवे ६ दोष । [ ] गृहस्थ के यहां जाकर 'इस बर्तन में क्या है।
इस प्रकार पूछ २ कर याचना करे तो। (२) अनाथ, मजूर के पास से दीनतापूर्वक याचना ____ करके आहार ले तो। (३) अन्य तीर्थी (बाबा-साधु ) की भिक्षा में से
याचकर आहार लेवे तो। (४) पासत्था (शिथिलाचारी) के पास से याचकर
लेवे तो। (५) जैन मुनियों की दुर्गछा करने वाले कुल में से ___आहार लेव तो। (६) मकान की आज्ञा देने वाले को ( शय्यांतर )
साथ लेकर उसकी दलाली से आहार लेवे तो। श्री दशा श्रुत स्कन्ध सूत्र में बताये हुवे २ दोष । (१) बालक निमित्त बनाया हुवा आहार लेवे तो (२) गर्भवन्ती " " " " ," श्री वृहत्कल्प सूत्र में बताया हुआ १ दोष (१) चार प्रकार का आहार गत्रि को वासी रखकर
दूसरे रोज भोगवे तो दोष ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org