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(१२)
। थोकडा संग्रह।
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नियंठा निग्रंथों पर ३६ द्वार-भगवती सूत्र शतक २५ उद्देशा छठा-१ पनवणा ( प्ररूपणा )२ वेद ३ राग ( सगगी) ४ कल्प ५ चारित्र ६ पडिसेवन (दोष सेवन) ७ ज्ञान ८ तीर्थ : लिंग १० शरीर ११ क्षेत्र १२ काल १३ गति १४ संयम स्थान १५ ( निकासे ) चारित्र पर्याय १६ योग १७ उपयोग १८ कषाय १६ लेश्या २० परि. णाम (३) २१ बन्ध २२ बेद २३ उदीरणा २४ उपसंपझाण (कहां जाये ?) •५ संन्नाबहुत्ता २६ श्राहार २७ भव २८ आगरेस ( कितनी वार श्रावे?) २६ काल स्थिति ३० आन्तरा ३१ समुद्घात ३२ क्षेत्र (विस्तार ) ३३ स्पर्शना ३४ भाव ३५ परिणाम (कितने पावे ?) और ३६ अल बहुत्व द्वार ।
१ पन्नवणा द्वार-निग्रंथ ( साधु ) ६ प्रकार के प्ररूपे गये हैं यथा-१ पुलाक २ वकुश ३ पडिसेवणा (ना) ४ कषय कुशील ५ निग्रंथ ६ स्नातक ।
१ पुलाक-चावल की शाल समान जिसमें सार वस्तु कम और भूसा विशष होता है । इसके दो भेद-१ लब्धि पुलाक कोई चक्रवर्ती आदि किसी जैन मुनि की अथवा जिन शासन आदि की अशातना करे तो उसकी सेना आदि को चकचूर करने के लिये लब्धि का प्रयोग करे
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