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संज्ञा पद ।
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संज्ञा पद (श्री पन्नवणा सूत्र, आठवां पद ) संज्ञा-जीदों की इच्छा संज्ञा १० प्रकार की है। आहार, भय, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, लोक और ओघ संज्ञा ।
आहार संज्ञा-४ कारण से उपजे-१ पेट खाली होने से २ क्षुधा बेदनीय के उदय से ३ आहार देखने से ४ आहार की चिंतवना करने से ।
भय संज्ञा-४ कारण से उपजे-१ अधैर्य रखने से २ भय मोह के उदय से ३ भय उत्पन्न करने वाले पदार्थ देखने से ४ भय की चिंतवना करने से। __ मैथुन संज्ञा ४ कारण से उपजे-१ शरीर पुष्ट बनाने से २ वेद मोह के कर्मोदय से ३ स्त्री आदि को देखने से ४ काम भोग का चितवन करने से ।
परिग्रह संज्ञा ४ कारण से उपजे-१ ममत्व बढाने से २ लोभ मोह के उदय से ३ धन संपति देखने से ४ धन परिग्रह का चितवन करने से ।
ऋघ, मान माया, लोभ संज्ञा ४ कारण से उपजे-१ क्षेत्र (खुली जमीन ) के लिये २ वत्थु ( ढंकी हुई जमीन मकानादि ) के लिये, ३ शरीर- उपाधि के लिये ४ धन्य धान्यादि औषधि के लिये ।
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