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________________ संज्ञा पद । ( ५७५) wwwwwwwwwom v wwwvvvvvvvvvvvvvvvvvw संज्ञा पद (श्री पन्नवणा सूत्र, आठवां पद ) संज्ञा-जीदों की इच्छा संज्ञा १० प्रकार की है। आहार, भय, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, लोक और ओघ संज्ञा । आहार संज्ञा-४ कारण से उपजे-१ पेट खाली होने से २ क्षुधा बेदनीय के उदय से ३ आहार देखने से ४ आहार की चिंतवना करने से । भय संज्ञा-४ कारण से उपजे-१ अधैर्य रखने से २ भय मोह के उदय से ३ भय उत्पन्न करने वाले पदार्थ देखने से ४ भय की चिंतवना करने से। __ मैथुन संज्ञा ४ कारण से उपजे-१ शरीर पुष्ट बनाने से २ वेद मोह के कर्मोदय से ३ स्त्री आदि को देखने से ४ काम भोग का चितवन करने से । परिग्रह संज्ञा ४ कारण से उपजे-१ ममत्व बढाने से २ लोभ मोह के उदय से ३ धन संपति देखने से ४ धन परिग्रह का चितवन करने से । ऋघ, मान माया, लोभ संज्ञा ४ कारण से उपजे-१ क्षेत्र (खुली जमीन ) के लिये २ वत्थु ( ढंकी हुई जमीन मकानादि ) के लिये, ३ शरीर- उपाधि के लिये ४ धन्य धान्यादि औषधि के लिये । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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