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( ५३८ )
थोकडा संग्रह |
जब
प्रत्येक नदी ऊपर बताये हुवे पर्वत तथा कुंड से निकल कर आगे बहती हुई गंगा प्रभास सिन्धु प्रभात आदि कुंड में गिरती हैं । यहाँ से आगे जाने पर या परिवार जितनी नदियें मिलती हैं जिनके साथ बीच में आये हुवे पहाड़ को तोड़ कर आगे बहती हैं जहाँ आधे परिवार की नदियें मिलती हैं जिनके साथ बहकर जम्बूद्वीप की जगति से बाहर लवण समुद्र में मिलती हैं ।
गंगा प्रभास आदि कुंड में गंगा द्वीप आदि नामक एकेक द्वीप हैं जिनमें इसी नाम की एकेक देवी सपरिवार रहती हैं इन कुंड, द्वीप और देवियों के नाम शाश्वत हैं ।
यन्त्र के अनुसार ७८ मूल नदियें और उन की परिवार की ( मिलने वाली ) १४५६००० नदियें हैं इस उपरान्त महाविदेह के ३२ विजयों के २८ अन्तर हैं जिन में पहले लिखे हुए १६ वचार पर्वत और शेष १२ अंतर में १२ अंतर नदिये हैं इनके नाम: - गृहवन्ती, द्रवन्ती, पंकवन्ती, संत जला, मंत जला, उगनजला क्षीरोदा, सिंह सोता, तो बहनी, उपमालनी, केनमालनी और गंभीर मालनी । ये प्रत्येक नदियें १२५ यो चौड़ी, २॥ यो. ऊँडी (गहरी ) और १६५६२ यो, २ कला की लम्बी हैं एवं कल नदियें १४५६०६० है । विशेष विस्तार जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र से जानना ।
॥ इति खण्डा जोयणा (ना) सम्पूर्ण |
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