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________________ धर्म के सम्मुख होने के १५ कारण । (५३६ ) धर्म के सम्मुख होने के १५ कारण । (१) नीति मान होवे कारण कि नीति धर्म की माता है। (२) हिम्मतवान व बहादुर होवे कारण कि कायरों से धर्म बन सक्ता नहीं। (३) धैर्यवान होवे किंवा प्रत्येक कार्य में आतुरता न करे । (४) बुद्धिमान होवे किंवा प्रत्येक कार्य अपनी बुद्धि से विचार कर करे । (५) असत्य से घृणा करने वाला होवे और सत्य बोलने वाला होवे । (६) निष्कपटी होवे, हृदय साफ स्फटिकरत्न मय होवे । (७) विनयवान तथा मधुर भाषी होवे । (८) गुण ग्राही होवे और स्वात्म-श्लाघा न करे ( स्वयं अपने गुण अन्य से आदर पाने के लिए न कहे)। (8) प्रतिज्ञा-पालक होवे अर्थात् जो नियमादि लिए होवें उन्हें बराबर पाले । (१०) दयावान होवे परोपकार की बुद्धि होवे । (११) सत्य धर्म का अर्थी होवे और सत्य का पक्ष लेने __ वाला होवे । (१२) जितेन्द्रिय होवे कषाय की मन्दता होवे । (१३) आत्म कल्याण की दृढ इच्छा वाला होवे । (१४) तत्व विचार में निपुण होवे तत्व में ही रमन करे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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