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खण्डा जोयण।।
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गये हैं। १ उत्तर भरत २ दक्षिण भरत। भरत की मर्यादा ( सीमा ) करने वाला चूल हेमवन्त पर्वत पर पद्म द्रह है। जिसके अन्दर से गङ्गा और सिन्धु नदी निकल कर तमम् गुफा और खण्डप्रभा गुफा के नीचे वैत ढ्य पर्वत को भेद कर लवण समुद्र में मिलती हैं इनसे भरत क्षेत्र के ६ रुण्ड होते हैं।
दक्षिण भरत२३८ योजन ३ कला का है। जिसमें ३ खण्ड हैं-मध्य खण्ड में १४ हजार देश है। मध्य भाग में कोशल देश, वनिता [ अयोध्या ] नगरी है । जो १२ योजन लम्बी, ह योजन चौडी है। पूर्व में १ हजार और पश्चिम में १ हजार देश हैं । कुल दक्षिण भारत में १६ हजार देश है। इसी प्रकार १६ हजार देश उत्तर भरत में हैं । इस भरत क्षेत्र में काल चक्र का प्रभाव है [ ६ पारा बत् ] ।
- [२] ऐरावत् क्षेत्र मेरु के उत्तर में शिखरी पर्वत से आगे भरतवत् है। . [३] महाविदेह क्षेत्र-निपिध और नीलवन्त पवेत के मध्य में है। पलङ्ग के संठाण वत्. ३२ विजय हैं। मध्य में १० हजार योजन का विस्तार वाला मेरु है। पूर्व पश्चिम दोनों तरफ २२-२२ हजार यो० + द्रशाल वन है। दोनों तरफ १६-१६ विजय हैं।
मेरु के उत्तर में और दक्षिण में २५०-२५० योजन
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