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________________ (३८) थोकडा संग्रह। marnaras ५ भीलामा ६ आसापालव ७ आम ८ महुए ६ सयन १० जामन ११ बेर १२ निम्बोली (री) इत्यादि । बहु अट्ठी-१ जामफल २ सीताफल ३ अनार ४ बील फल ५ कोठा ( कबीठ) ६ कैर ७ निम्बू ८ टीमरू है बढ़ के फल १० पीपल के फल इत्यादि बहु अट्ठी के बहुत से भेद हैं। २ गुच्छ-नीचा व गोल वृक्ष हो उसे गुच्छ कहते हैं जैसे १ रिंगनी २ भोरिंगनी ३ जवासा ४ तुलसी ५ श्रावची बावची इत्यादि गुच्छ के अनेक भेद हैं। ३ गुल्म-फूलों के वृक्ष को गुल्म कहते हैं । १ जाई २ जुई ३ डमरा ४ मरवा ५ केतकी ६ केवड़ा इत्यादि गुल्म के अनेक भेद हैं। ४ लता-१ नाग लता २ अशोक लता ३ चंपक लता ४ भोंइ लता ५ पद्म लता इत्यादि लता के अनेक भेद हैं। ५ वेला-जिस वनस्पति के वेला चाले सो वेला । १ ककड़ी २ तरोई ३ करेला ४ किंकोड़ा ५ कोला ६ कोठिंबड़ा ७ तुम्बा ८ खरबुजे ६ तरबुजे १० वल्लर आदि। ६ पावग-(पव्यय) जिसके मध्य में गांठे हो उसे पावग कहते हैं। १ ईख २ एरंड ३ सरकड़ ४ बेंत ५ नेतर ६ वांस इत्यादि पावग के अनेक भेद हैं। ७ तृण-१ डाभ का तृण २ आरातारा का तृण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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