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छ काय के बोल ।
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३ कड़वाली का तृण ४ झेझवा का तृण ५ धरो का तृण ६ कालिया का तृण इत्यादि तृण के अनेक भेद हैं। ____८ वलीया-( वल्लय ) जो वृक्ष ऊपर जाकर गोलाकार बने हों, वे वलीयाः-१ सुपारी २ खारक ३ खजूर ४ केला ५ तज ६ इलायची ७ लोग ८ ताड़ ह तमाल १० नारियल आदि वलीया के अनेक भेद हैं।
हरित काय-शाक भाजी के वृक्ष सो हरित कायः-१ मूला की भाजी २ मेथी की भाजी ३ तांदल जाकी (चंदलोई की) भाजी ४ सुवा की भाजी ५ लुणी की भाजी ६ वाथरे की भाजी आदि हरित काय के अनेक भेद हैं।
१० औषधि-चोवीश प्रकार के धान्य को औषधि कहते हैं।
धान्य के नाम-१ गोधूम (गेहूं) २ जव ३ जुवार ४ बाजरी ५ डांगेर (शाल) ६ वरी ७ बंटी ( वरटी) ८ बावटों है कांगनी १० चिण्यो झिएयो ११ कोदरा १२ मकी । इन बारह की दाल न होने से ये 'लहा (लासा)धान्य कहलाते हैं । १ मूग २ मोठ ३ उड़द ४ तुवर ५ झालर (काबली चने ) ६ वटले ७ चवले ८ चने ६ कुलत्थी १० कांग ( राजगरे के समान एक जाति का अनाज) ११ मसुर १२ अलसी इन बारह की दाल होने से इन्हे 'कठोल कहत हैं।
लहा और कठोल इन दोनों प्रकार के धान्य को औषधि कहते हैं।
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