________________
छ लेश्या ।
(४८३)
www.ananmona
दीपक की शिखा आदि इनसे अनंत गुणा अधिक इस लेश्या का लाल रंग होता है।
पद्म लेश्या-हरताल, हलदर, सण के फूल आदि इनसे भी अनंत गुणा अधिक पीला इसका रंग होता है।
शुक्ल लेश्या-शंख, अंक रत्न, मोगरे का फून गाय का दूध, चांदी का हार आदि इनसे भी अनन्त गुणा इस लेश्या का वर्ण श्वेत होता है।
३ रस द्वार:-कड़वा तुम्बा,नीम्ब का रस,रोहिणी नामक वनस्पति का रस आदि इनसे भी अनंत गुणा अधिक कड़वा रस कृष्ण लेश्या का होता है नील लेश्या का रस-झूठ के रस के समान, पीपला मूल आदि के रस से भी अनंत गुणा कड़वा रस इस नील लेश्या का होता है।
कापोत लेश्या का रस-कच्चो केरी, कच्चा कोठा ( कबीट) आदि के रस से भी अनन्त गुणा खट्टा होता है।
तेजो लेश्या का रस-पक्के आम, व पक्के कोठे के रस से अनन्त गुणा अधिक कुछ खट्टा व कुछ मीठा होता है।
पद्म लेश्या का रस-शराब, सिरका व शहत आदि से भी अनन्त गुणा अधिक मधुर होता है।
शुक्ल लेश्या का रस-खजूर, दाख (द्राक्ष ) दूध व शकर आदि से भी अनन्त गुणा अधिक मीठा होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org