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________________ (४८२) थोकडा संग्रह। छ लेश्या * (श्री उत्तराध्ययन सूत्र, ३४ वां अध्ययन ) छ लेश्या के ११ द्वार:-१ नाम २ वर्ण ३ रस ४ गंध ५ स्पर्श ६ परिणाम ७ लक्षण ८ स्थानक ह स्थिति १० गति ११ चवन । १ नाम द्वार-१ कृष्ण लेश्या २ नील लेश्या ३ कापोत लेश्या ४ तेजो लेश्या ५ पद्म लेश्या ६ शुक्ल लेश्या । २ वर्ण द्वार:-कृष्ण लश्या का वर्ण जल सहित मेघ समान काला, तथा भैस के सिंग समान काला, अरीठे के बीज समान, गाड़ी के खंजन (काजली) समान और आँख की कीकी समान काला । इनसे भी अनंत गुणा काला। नील लेश्या:-अशोक वृक्ष, चास पक्षी की पांख और वैडुर्य रत्न से भी अनंत गुणा नीला इस लेश्या का वर्ण होता है। कापोत लेश्या-अलशी के फूल, कोयल की पांख, कबूतर की गर्दन कुछ लाल कुछ काली आदि। इनसे भी अनंत गुणा अधिक कापोत लेश्या का वर्ण होता है । तेजो लेश्या-उगता हुवा सूर्य, तोते की चोंच, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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