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(४६६)
थोकडा संग्रह।
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चतुराई की जाग्रिका । यह श्रावक को होती है कारण कि सम्यक् ज्ञान, दर्शन सहित धन कुटुम्बादिक तथा विषय कषाय को खराब जानता है । देश से निवृत्त हुवा है, उदय भाव से उदासीन पने है, तीन मनोरथ का चिंतन करता है । इसे सुदखु जानिका कहते हैं ।
॥ इति तीन जाग्रिका संपूर्ण ॥
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