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६ काय के भव।
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६ काय के भव श्री गौतम स्वामी वीर भगवान को वंदना नमस्कार करके पूछने लगे कि हे भगवन् ! छे काय के जीव अन्तमुहूते में कितने भव करते है ?
भगवान-हे गौतम ! पृथ्वी, अप, अग्नि, वायु आदि जघन्य एक भव करे उत्कृष्ट बारह हजार आठ सो चोवीश भव एक अन्त मुहूर्त में करे और वनस्पति के दो भेद१ प्रत्येक २ साधारण । प्रत्येक जघन्य एक भव उत्कृष्ट बावीश हजार भव करे व साधारण जघन्य एक भव और उत्कृष्ट पेंसठ हजार पांचसो छब्बीश भव करे । बेइन्द्रिय जघन्य एक भव उत्कृष्ट ८० भव करे । त्रि--इन्द्रिय जघन्य एक उत्कृष्ट साठ भव करे । चौरिन्द्रिय जघन्य एक उत्कृष्ट चालीश भव करे । असंज्ञी तिथंच जघन्य एक भव उत्कृष्ट चोवीश भव करे । संज्ञी तिर्यच व संज्ञी मनुष्य जघन्य तथा उत्कृष्ट एक भव करे ।
॥ इति छकाय के भव सम्पूर्ण ॥
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