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________________ ( ४६२) थोकडा संग्रह। तीन जाग्रिका (जागरण ) श्री वीर भगवन्त को गौतम स्वामी पूछने लगे कि हे भगवन ! जाग्रिका कितने प्रकार की होती है ? भगवान्-हे गौतम ! जाग्रिका तीन प्रकार की होती है १ धर्म जागरण २ अधर्म जागरण ३ सुदखु जागरण । १ धर्म जागरण के चार भेद-१ आचार धर्म २ क्रिया धर्म ३ दया धर्म ४ स्वभाव धर्म । १ आचार धर्म के पांच भेदः-१ ज्ञानाचार २ दर्शनाचार ३ चारित्राचार ४ तपाचार ५ वीर्याचार इन में से ज्ञानाचार के ८ भेद, दर्शनाचार के ८ भेद, चारित्रा चार के ८ भेद, तपाचार के १२ भेद, वीर्याचार के ३ भेद एवं ३६ भेद हुवे। १ज्ञानाचार के ८ भेद-१ ज्ञान सीखने के समय ज्ञान सीखे २ ज्ञान लेने के समय विनय करे ३ ज्ञान का बहु मान करे ४ ज्ञान पढने के समय यथा शक्ति तप करे ५ अर्थ तथा गुरु को गोपे (छिपावे) नहीं, ६ अक्षर शुद्ध ७ अर्थ शुद्ध ८ अक्षर और अर्थ दोनों शुद्ध । २ दर्शनाचार के ८ भेदः-१ जैन धर्म में शङ्का नहीं करे २ पाखण्ड धर्म की वांछा नहीं करें ३ करणी के फल में संदेह नहीं रक्ख ४ पाखएडी के आडम्बर देख कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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