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थोकडा संग्रह।
३ क्षेत्र से बादर पुगल परावर्त-चौदह राजलोक के जितने आकाश प्रदेश हैं उन सर्व आकाश प्रदेश को प्रत्येक प्रदेश में मर मर कर अनुक्रम बिना तथा किसी भी प्रकार से पूर्ण करे।
४ क्षेत्र से सूक्ष्म पुद्गल परावर्तः-चौदह राज लोक के आकाश प्रदेश को अनुक्रम से एक के बाद एक १.२.३-४-५-६-७-८९-१० एवं प्रत्येक प्रदेश में मर कर पूर्ण करे उन में पहले प्रदेश में मर कर तीसरे प्रदेश में मरे अथवा पांचवें आठवें किसी भी प्रदेश में मरे तो पुगल परावर्ग करना नहीं गिना जाता है, अनुक्रम से प्रत्येक प्रदेश में मर कर समस्त लोक पूर्ण करे।। ___५ काल से बादर पुद्गल पराक्र्त-एक काल चक्र (जिसमें उत्सर्पिणी व अवसर्पिणी सम्मिलित हैं) के प्रथम समय में मरे पश्चात् दूसरे काल चक्र के दूसरे समय में मरे अथवा तीसरे समय में मरे एवं तीसरे काल चक्र के किसी भी समय में मरे अर्थात् एक काल चक्र के जितने समय होवे उतने काल चक्र के एक २ समय मर कर एक काल चक्र पूर्ण करे ।
६ काल से सूक्ष्म पुद्गल परावर्त्त-काल चक्र के प्रथम समय में मरे, अथवा दूसरे काल चक्र के दूसरे समय में मरे, तीसरे काल चक्र के तीसरे समय में मरे,
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